Bada Mangal 2025: बजरंगबली ने क्यों चीरा अपना सीना, कराए थे प्रभु श्रीराम और मां सीता के दर्शन, पढ़ें कथा
ज्येष्ठ माह के मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर भक्त राम जी और बजरंगबली की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष चीजों का दान करते हैं। आइए बड़े मंगल के अवसर पर जानते हैं हनुमान जी की एक खास लीला के बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्येष्ठ के महीने को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ माह के मंगलवार को पहली बार भगवान श्रीराम और हनुमान जी की मुलाकत हुई थी। इसलिए इस माह के मंगलवार को बड़ा मंगल (Bada Mangal 2025) और बुढ़वा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस शुभ अवसर पर प्रभु श्रीराम और हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, बड़े मंगल के दिन पूजा और व्रत करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं। हनुमान जी ने कई लीलाएं की हैं, जिनसे कई खास सीख मिलती हैं। क्या आप जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी ने सीना चीरकर भगवान श्रीराम और माता सीता के दर्शन क्यों कराए थे। अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसकी खास वजह के बारे में।
मां सीता ने हनुमान जी को दी रत्न से जड़ी माला
आपकी जानकारी के लिए बता बता दें कि हनुमान जी की इस लीला का वर्णन रामायण में किया गया है। जब वनवास के बाद भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था, तो उसके बाद दरबार में उपस्थित लोगों को उपहार दिए गए। वहीं, हनुमान जी को मां सीता ने रत्न से जड़ी एक माला दी, लेकिन उस माला को हनुमान जी ने तोड़ दिया। ऐसा देख सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।
हनुमान जी के इस व्यवहार को लक्ष्मण जी ने राम जी का अपमान माना और बजरंगबली पर क्रोध आ गया। इसके बाद लक्ष्मण जी ने राम जी को बताया कि हनुमान जी ने माला को तोड़ दिया है। ऐसे में राम जी ने कहा कि इस बारे में हनुमान जी को ही पता है कि माला को क्यों तोड़ा है।
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हनुमान जी ने कराए राम जी और मां सीता के दर्शन
माला के बारे में लक्ष्मण जी के पूछने पर प्रभु हनुमान जी ने कहा कि माला मेरे किसी काम की नहीं है। इसलिए मैंने माला को अमूल्य समझ कर तोड़ दिया और इस माला में कही भी राम नाम नहीं था। इसके बाद लक्ष्मण जी ने कहा कि जब तुम्हारे शरीर पर राम नाम नहीं है, तो शरीर को क्यों रखा है? इसका भी त्याग कर दो। इस बात को सुनकर हनुमान जी ने नाखूनों से चीरकर राम जी, मां सीता और लक्ष्मण जी के दर्शन सभी को कराए। ऐसा देख लक्ष्मण जी हैरान हो गए और उनसे माफी मांगी।
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