Chaturmas 2025: चातुर्मास में जरूर ध्यान रखें ये बातें, बना रहेगा प्रभु श्रीहरि का आशीर्वाद
चातुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है। इस अवधि को भगवान विष्णु को की पूजा-अर्चना के लिए उत्तम माना जाता है। अगर आप इस समय में कुछ नियमों का ध्यान रखते हैं तो इससे आपको और अधिक लाभ मिल सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं कि इस माह में आपको किन नियमों का जरूर ध्यान रखना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। यह वह समय है, जब भगवान विष्णु 4 माह के लिए योग निद्रा में जाते हैं। इसके बाद कार्तिक माह में आने वाली देवउठनी एकादशी पर प्रभु श्रीहरि पुनः निद्रा से जागते हैं।
इस बार चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है। ऐसे में हम जानेंगे कि अधिक लाभ प्राप्ति के लिए आपको इस समय में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
न करें ये काम
चातुर्मास में भूलकर भी विवाह, मुंडन और गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ व मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। क्योंकि इन चार महीनों में देव सो रहे होते हैं। ऐसे में शुभ कार्य किए जाते हैं, तो इसमें देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता।
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तुलसी से जुड़े नियम
चातुर्मास में तुलसी से जुड़े नियमों का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए। इस अवधि में रविवार और एकादशी को छोड़कर रोजाना तुलसी में जल अर्पित करें।
इसके साथ ह शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाएं और तुलसी के पास साफ-सफाई का भी ध्यान रखें। इस सभी नियमों का पालन करने से प्रभु श्रीहरि की कृपा आपके ऊपर बनी रहती है।
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न खाएं ये चीजें
चातुर्मास में आपको हरी सब्जियां जैसे पालक, मैथी आदि खाने से बचना चाहिए। जिसका कारण यह है कि बारिश की वजह से इन हरी पत्तेदार सब्जियों में जल्दी कीड़े लग जाते हैं। इसके साथ ही चातुर्मास में मांस, मदिरा जैसी तामसिक चीजों से भी दूरी बनानी चाहिए।
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इन कार्यों से मिलेगा लाभ
भगवान विष्णु में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। माना जाता है कि चातुर्मास में सात्विक भोजन करने और जमीन पर सोने वाले साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।
इसके साथ ही इस माह में पवित्र नदियों में स्नान करना और धर्मग्रंथों जैसे रामायण, भगवद गीता आदि का पाठ करना और इसके साथ ही ब्रज की यात्रा करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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