Chaturmas 2025: चातुर्मास में तुलसी के पास दीपक जलाने से मिलते हैं अद्भुत फायदे, जानें नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चातुर्मास (Chaturmas 2025) आत्मिक साधना का काल माना गया है। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय मानी गई है। ऐसे में अगर आप इस अवधि में इन जगहों पर दीपक जलाते हैं तो इससे आपको जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवशयनी एकादशी के साथ 6 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी है। यह समय विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यातओं के अनुसार, भगवान विष्णु योग निद्रा में जाते हैं और 4 माह बाद देवउठनी एकादशी पर पुनः निद्रा से जागते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि चातुर्मास में आपको तुलसी से जुड़े किन नियमों का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए।
जरूर रखें इन नियमों का ध्यान
चातुर्मास में तुलसी रोजाना जल अर्पित करना और दीपक जलाना काफी शुभ माना जाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि रविवार और एकादशी को तुलसी में जल अर्पित न करें। तुलसी में हमेशा प्रातः काल में जल अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही तुलसी के पास साफ-सफाई का भी ध्यान रखना चाहिए, वरना मां लक्ष्मी आपसे रुष्ट हो सकती हैं।
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दीपक जलाने के नियम
चातुर्मास में रोजाना शाम को तुलसी के पास गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद तुलसी माता की श्रद्धापूर्वक आरती करें और उनके मंत्रों का जप करें। ध्यान रखें की दीपक का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता का वास बढ़ता है और सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है।
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मिलेंगे ये लाभ
तुलसी पर दीपक जलाने से साधक को अशुभ ग्रहों के प्रभाव से राहत मिल सकती है। तुलसी के पास गाय के घी का दीपक जलाने से बृहस्पति और शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जो धन, विवाह और विद्या के कारक माने जाते हैं।
अगर आप नियमित रूप से तुलसी के समक्ष दीपक जलाते हैं, तो इससे मां लक्ष्मी की कृपा भी आपके ऊपर बनी रहती है। जिससे आर्थिक संपन्नता आती है। इसके साथ ही साधक व उसके परिवार पर भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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