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    Chaturmas 2025: 5 महीने होने पर भी क्यों कहा जाता है चातुर्मास, जानिए इसका कारण

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 11:28 AM (IST)

    इस साल चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है जो 1 नवंबर तक चलने वाला है। इस दौरान आषाढ़ सावन भाद्रपद आश्विन और कार्तिक माह आते हैं। लेकिन आप जानते हैं कि 5 महीने होने के बाद भी इसे चातुर्मास क्यों (why is it called Chaturmas) कहा जाता है। चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण।

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    Chaturmas 2025 चातुर्मास से जुड़ी खास बातें। (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवशयनी एकादशी से चातुर्मास (Chaturmas 2025) की शुरुआत हो जाती है। इस बार चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हुई थी। माना जाता है कि इस तिथि से भगवान विष्णु योग निद्रा में जाते हैं और इसके बाद कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर पुनः निद्रा से जागते हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार का शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।

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    इसलिए कहा जाता है चातुर्मास

    आषाढ़ शुक्ल एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है, जिसका समापन कार्तिक शुक्ल एकादशी पर होता है। चातुर्मास की गणना माह के नाम से नहीं, बल्कि तिथि के आधार पर की जाती है। यही कारण है कि चातुर्मास में केवल चार माह को ही गिना जाता है। कभी-कभी अधिक मास के चलते सावन 2 माह का हो जाता है। लेकिन इसके बाद भी चातुर्मास में 4 ही महीने माने जाते हैं, जो इस प्रकार हैं - 

    1. आषाढ़ शुक्ल एकादशी से सावन शुक्ल एकादशी तक एक माह

    2. सावन शुक्ल एकादशी से भाद्रपद शुक्ल एकादशी तक दूसरा माह

    3. भाद्रपद शुक्ल एकादशी से आश्विन शुक्ल एकादशी तक तीसरा माह

    4. आश्विन शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चौथा माह

    इसलिए नहीं होते शुभ कार्य

    चातुर्मास के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ व मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। जिसके पीछे यह कारण माना जाता है कि इस अवधि में भगवान विष्णु समेथ अन्य देवी-देवता योग निद्रा में होते हैं। जिस कारण आपको उस कार्य में इनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता। 

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    चातुर्मास में क्या करें

    चातुर्मास में गरीबों, जरूरतमंदों व साधु-संतों के बीच अपनी क्षमता के अनुसार, अन्न और वस्त्रों का दान जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही चातुर्मास में पीले रंग के वस्त्र का दान करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। चातुर्मास में भगवान विष्णु जी की पूजा में उन्हें चने की दाल और गुड़ का भोग भी जरूर लगाना चाहिए। 

    इसी के साथ चातुर्मास में गायों की सेवा करने करने से भी जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही आपको चातुर्मास में भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करना भी लाभकारी माना गया है। इस अवधि में आप रामायण, भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी कर सकते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।