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    Chhath Puja 2025: कैसे करें छठ व्रत का पारण? नोट करें विधि और मंत्र

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 06:50 AM (IST)

    छठ पूजा का चौथा दिन, कार्तिक शुक्ल सप्तमी, 36 घंटे के निर्जला व्रत के समापन का दिन होता है। इस दिन व्रती उगते हुए सूर्य को ऊषा अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    Chhath Puja 2025 Usha Arghya: छठ व्रत पारण नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chhath Puja 2025 Paran Rules: छठ पूजा का चौथा दिन, यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी, इस कठोर 36 घंटे के निर्जला व्रत के समापन का दिन होता है। इस दिन व्रती उगते हुए सूर्य यानी ऊषा अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। पारण केवल व्रत खोलना नहीं है, बल्कि छठी माता और सूर्य देव की पूर्ण कृपा पाने का भी दिन होता है, क्योंकि इसी पर व्रत (Chhath Puja Vrat Breaking Steps) की सफलता निर्भर करती है।

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    ऊषा अर्घ्य समय (Chhath Puja Usha Arghya Time 2025)

    • 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।

    छठ व्रत पारण विधि (Usha Arghya Rituals)

    • व्रती सूर्योदय से पहले घाट पर पहुंचकर, कमर तक पानी में खड़े होकर, बांस के सूप या टोकरी में रखे प्रसाद और फल के साथ उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
    • अर्घ्य (Usha Arghya Sunrise Offering) तांबे के लोटे में जल और दूध मिलाकर दिया जाता है।
    • अर्घ्य के बाद व्रती छठी मैया को प्रणाम कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए धन्यवाद करती हैं।
    • इसके बाद प्रसाद से भरे सूप को अपने सिर पर रखकर घाट से घर वापस आते हैं।
    • घर आने के बाद, व्रती सबसे पहले जल या दूध का शरबत पीकर 36 घंटे के निर्जला व्रत के पारण की शुरुआत करते हैं।
    • इसके बाद छठी मैया को चढ़ाए गए प्रसाद का सेवन करते हैं।

    पारण में क्या खाना चाहिए? (Chhath Puja 2025 Day 4 Paran Ritual)

    व्रत पारण का भोजन हमेशा सात्विक और हल्का होना चाहिए ताकि लंबे उपवास के बाद शरीर को कोई परेशानी न हो।
    सबसे पहले छठी मैया को चढ़ाए गए मुख्य प्रसाद जैसे ठेकुआ और कसार लड्डू खाकर व्रत खोलें।
    बांस की टोकरी में चढ़ाए गए मौसमी फल का सेवन करें।
    व्रत खोलने के बाद व्रती को सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए।
    इस दिन भी लहसुन, प्याज या किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन पूरे परिवार के लिए वर्जित होता है।
    व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही, परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद और भोजन का सेवन करें।

    अर्घ्य मंत्र (Usha Arghya Puja Mantra)

    • ॐ सूर्याय नमः
    • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
    • ग्रहाणामादिरादित्यो लोक लक्षण कारक:। विषम स्थान संभूतां पीड़ां दहतु मे रवि।।
    • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।