Pradosh Vrat: सोमवार से लेकर रविवार तक, प्रदोष व्रत रखने के मिलते हैं ये लाभ
प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत मनोकामनाएं पूरी करता है और कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करता है। दिन के अनुसार, जैसे सोम प्रदोष मानसिक शांति, भौम प्रदोष कर्ज मुक्ति, बुध प्रदोष इच्छा पूर्ति, गुरु प्रदोष शत्रु भय समाप्ति, शुक्र प्रदोष आय वृद्धि, शनि प्रदोष करियर में सफलता और रवि प्रदोष आरोग्य प्रदान करता है, साथ ही संबंधित ग्रहों को मजबूत करता है।

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को मनोवांछित फल मिलता है। साथ ही भगवान शिव और देवी मां पार्वती की कृपा साधक पर बरसती है।

ज्योतिष भी कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और देवी मां पार्वती की पूजा करने की सलाह देते हैं। इस समय आर्थिक स्थिति अनुसार विभिन्न चीजों (दूध, दही,सामान्य जल, गंगाजल, पंचामृत और घी) से भगवान शिव का अभिषेक करें। आइए, दिन अनुसार त्रयोदशी तिथि पर व्रत रखने के लाभ जानते हैं।
प्रदोष व्रत के लाभ
- सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहते हैं। सोम प्रदोष व्रत करने से मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है। साथ ही शुभ कामों में सलफता मिलती है। इसके अलावा, कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है।
- मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। भौम प्रदोष व्रत करने से कर्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही कुंडली में मंगल मजबूत होता है।
- बुधवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। बुध प्रदोष व्रत करने से कुंडली में बुध मजबूत होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति विशेष की हर मनोकामना पूरी होती है।
- गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहते हैं। गुरु प्रदोष व्रत करने से कुंडली में गुरु मजबूत होता है। गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रु भय समाप्त हो जाता है। साथ ही जॉब की परेशानी से भी मुक्ति मिलती है।
- शुक्रवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। शुक्र प्रदोष व्रत करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। शुक्र प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के शुभ कामों में सफलता मिलती है। इसके साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। शनि प्रदोष व्रत करने से कुंडली में शनि मजबूत होता है। शनि प्रदोष व्रत करने से करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।
- रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। रवि प्रदोष व्रत करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, कुंडली में सूर्य ग्रह भी मजबूत होता है।
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