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    Diwali पर पूजा के समय करें मां लक्ष्मी और गणेश जी की ये आरती, सुख-समृद्धि से भर जाएगा घर

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 06:55 PM (IST)

    दीपावली हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो इस साल 20 अक्टूबर यानी आज मनाया जा रहा है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है। पूजा को पूर्ण करने के लिए लक्ष्मी और गणेश जी की आरती जरूर करना चाहिए, जो इस प्रकार हैं -

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    Diwali 2025: माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक है। इस साल यह पर्व (Diwali 2025) 20 अक्टूबर यानी आज के दिन मनाया जा रहा है। इस दिन पूजा-पाठ करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है। वहीं, मान्यता है कि आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी रहती है। इसलिए माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती पूरे भक्ति भाव से करें। ऐसा करने से आपके घर में स्थायी रूप से सुख-समृद्धि का वास होगा।

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    • लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।

    ॥आरती श्री लक्ष्मी जी॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।

    सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।

    जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।

    सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।

    खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।

    रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई जन गाता।

    उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    गणेश जी की आरती
    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    ।।गणेश जी की आरती।।

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

    माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

    लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

    दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

    कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥

    जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

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