गणाधिप संकष्टी चतुर्थी (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Date) का उपवास बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखने से भगवान गणेश खुश होते हैं और सभी बाधाओं का नाश करते हैं। साथ ही उनका आशीर्वाद सदैव के लिए प्राप्त होता है। वहीं इस दिन बप्पा के 108 नामों का जाप बेहद शुभ माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणाधिप संकष्टी व्रत का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। इस दिन गणेश जी की पूजा होती है। इस शुभ दिन पर लोग उपवास रखते हैं और विधिवत बप्पा की आराधना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर को पड़ रही है। यह दिन बप्पा को खुश करने के लिए बहुत खास माना जाता है। ऐसे में सुबह उठकर स्नान करें। बप्पा को दुर्वा, मोदक और फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें। आरती से पूजा को समाप्त करें।
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन
(Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) भगवान गणेश के 108 नामों का जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही ज्ञान, धन, सुख और शांति की प्राप्ति होती है, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
।।भगवान गणेश के 108 नाम।।
गजानन: ॐ गजाननाय नमः।
गणाध्यक्ष: ॐ गणाध्यक्षाय नमः।
विघ्नराज: ॐ विघ्नराजाय नमः।विनायक: ॐ विनायकाय नमः।द्वैमातुर: ॐ द्वैमातुराय नमः।द्विमुख: ॐ द्विमुखाय नमः।प्रमुख: ॐ प्रमुखाय नमः।सुमुख: ॐ सुमुखाय नमः।कृति: ॐ कृतिने नमः।सुप्रदीप: ॐ सुप्रदीपाय नमः।सुखनिधी: ॐ सुखनिधये नमः।सुराध्यक्ष: ॐ सुराध्यक्षाय नमः।सुरारिघ्न: ॐ सुरारिघ्नाय नमः।
महागणपति: ॐ महागणपतये नमः।मान्या: ॐ मान्याय नमः।महाकाल: ॐ महाकालाय नमः।
इस साल गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य शाम 07 बजकर 34 मिनट पर दिया जाएगा। यह उपवास अर्घ्य देने के साथ पूरा होता है।
महाबला: ॐ महाबलाय नमः।हेरम्ब: ॐ हेरम्बाय नमः।लम्बजठर: ॐ लम्बजठरायै नमः।
ह्रस्वग्रीव: ॐ ह्रस्व ग्रीवाय नमः।महोदरा: ॐ महोदराय नमः।मदोत्कट: ॐ मदोत्कटाय नमः।महावीर: ॐ महावीराय नमः।मन्त्रिणे: ॐ मन्त्रिणे नमः।मङ्गल स्वरा: ॐ मङ्गल स्वराय नमः।प्रमधा: ॐ प्रमधाय नमः।प्रथम: ॐ प्रथमाय नमः।प्रज्ञा: ॐ प्राज्ञाय नमः।विघ्नकर्ता: ॐ विघ्नकर्त्रे नमः।विघ्नहर्ता: ॐ विघ्नहर्त्रे नमः।विश्वनेत्र: ॐ विश्वनेत्रे नमः।
विराट्पति: ॐ विराट्पतये नमः।श्रीपति: ॐ श्रीपतये नमः।वाक्पति: ॐ वाक्पतये नमः।शृङ्गारिण: ॐ शृङ्गारिणे नमः।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा में गलती से भी तुलसी का पत्र शामिल नहीं करना चाहिए। इससे बप्पा नाराज होते हैं। इसके साथ ही तामसिक चीजों से परहेज करना चाहिए।
अश्रितवत्सल: ॐ अश्रितवत्सलाय नमः।
शिवप्रिय: ॐ शिवप्रियाय नमः।शीघ्रकारिण: ॐ शीघ्रकारिणे नमः।शाश्वत: ॐ शाश्वताय नमः।बल: ॐ बल नमः।बलोत्थिताय: ॐ बलोत्थिताय नमः।भवात्मजाय: ॐ भवात्मजाय नमः।पुराण पुरुष: ॐ पुराण पुरुषाय नमः।पूष्णे: ॐ पूष्णे नमः।पुष्करोत्षिप्त वारिणे: ॐ पुष्करोत्षिप्त वारिणे नमः।अग्रगण्याय: ॐ अग्रगण्याय नमः।अग्रपूज्याय: ॐ अग्रपूज्याय नमः।
अग्रगामिने: ॐ अग्रगामिने नमः।मन्त्रकृते: ॐ मन्त्रकृते नमः।चामीकरप्रभाय: ॐ चामीकरप्रभाय नमः।सर्वाय: ॐ सर्वाय नमः।सर्वोपास्याय: ॐ सर्वोपास्याय नमः।सर्व कर्त्रे: ॐ सर्व कर्त्रे नमः।सर्वनेत्रे: ॐ सर्वनेत्रे नमः।सर्वसिद्धिप्रदाय: ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः।सिद्धये: ॐ सिद्धये नमः।पञ्चहस्ताय: ॐ पञ्चहस्ताय नमः।पार्वतीनन्दनाय: ॐ पार्वतीनन्दनाय नमः।
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवंबर शाम 06 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 19 नवंबर दोपहर को शाम 05 बजकर 28 मिनट पर होगा।
प्रभवे: ॐ प्रभवे नमः।
कुमारगुरवे: ॐ कुमारगुरवे नमः।अक्षोभ्याय: ॐ अक्षोभ्याय नमः।कुञ्जरासुर भञ्जनाय: ॐ कुञ्जरासुर भञ्जनाय नमः।प्रमोदाय: ॐ प्रमोदाय नमः।मोदकप्रियाय: ॐ मोदकप्रियाय नमः।कान्तिमते: ॐ कान्तिमते नमः।धृतिमते: ॐ धृतिमते नमः।कामिने: ॐ कामिने नमः।कपित्थपनसप्रियाय: ॐ कपित्थपनसप्रियाय नमः।ब्रह्मचारिणे: ॐ ब्रह्मचारिणे नमः।ब्रह्मरूपिणे: ॐ ब्रह्मरूपिणे नमः।
ब्रह्मविद्यादि दानभुवे: ॐ ब्रह्मविद्यादि दानभुवे नमः।जिष्णवे: ॐ जिष्णवे नमः।विष्णुप्रियाय: ॐ विष्णुप्रियाय नमः।भक्त जीविताय: ॐ भक्त जीविताय नमः।जितमन्मधाय: ॐ जितमन्मधाय नमः।ऐश्वर्यकारणाय: ॐ ऐश्वर्यकारणाय नमः।ज्यायसे: ॐ ज्यायसे नमः।यक्षकिन्नेर सेविताय: ॐ यक्षकिन्नेर सेविताय नमः।गङ्गा सुताय: ॐ गङ्गा सुताय नमः।गणाधीशाय: ॐ गणाधीशाय नमः।गम्भीर निनदाय: ॐ गम्भीर निनदाय नमः।वटवे: ॐ वटवे नमः।अभीष्टवरदाय: ॐ अभीष्टवरदाय नमः।ज्योतिषे: ॐ ज्योतिषे नमः।भक्तनिधये: ॐ भक्तनिधये नमः।भावगम्याय: ॐ भावगम्याय नमः।मङ्गलप्रदाय: ॐ मङ्गलप्रदाय नमः।अव्यक्ताय: ॐ अव्यक्ताय नमः।अप्राकृत पराक्रमाय: ॐ अप्राकृत पराक्रमाय नमः।सत्यधर्मिणे: ॐ सत्यधर्मिणे नमः।
यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2024: इस कथा के बिना पूरा नहीं होता है गणाधिप संकष्टी का व्रत, जरूर करें इसका पाठसखये: ॐ सखये नमः।सरसाम्बुनिधये: ॐ सरसाम्बुनिधये नमः।महेशाय: ॐ महेशाय नमः।दिव्याङ्गाय: ॐ दिव्याङ्गाय नमः।मणिकिङ्किणी मेखालाय: ॐ मणिकिङ्किणी मेखालाय नमः।समस्त देवता मूर्तये: ॐ समस्त देवता मूर्तये नमः।सहिष्णवे: ॐ सहिष्णवे नमः।सततोत्थिताय: ॐ सततोत्थिताय नमः।विघातकारिणे: ॐ विघातकारिणे नमः।विश्वग्दृशे: ॐ विश्वग्दृशे नमः।विश्वरक्षाकृते: ॐ विश्वरक्षाकृते नमः।कल्याणगुरवे: ॐ कल्याणगुरवे नमः।उन्मत्तवेषाय: ॐ उन्मत्तवेषाय नमः।अपराजिते: ॐ अपराजिते नमः।समस्त जगदाधाराय: ॐ समस्त जगदाधाराय नमः।सर्वैश्वर्यप्रदाय: ॐ सर्वैश्वर्यप्रदाय नमः।आक्रान्त चिद चित्प्रभवे: ॐ आक्रान्त चिद चित्प्रभवे नमः।श्री विघ्नेश्वराय: ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः।।
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