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    Sankashti Chaturthi 2024: इस कथा के बिना पूरा नहीं होता है गणाधिप संकष्टी का व्रत, जरूर करें इसका पाठ

    Updated: Sun, 17 Nov 2024 12:06 PM (IST)

    सनातन धर्म में गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह दिन पूरी तरह से गणेश जी को समर्पित है। इस पावन दिन पर जो लोग सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं उन्हें बप्पा की कृपा मिलती है। इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) 18 नवंबर को पड़ रही है।

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    Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी व्रत का खास महत्व है। चतुर्थी महीने में दो बार आती है, एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में। यह दिन पूरी तरह से भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ अवसर पर लोग प्रार्थना करते हैं और उपवास रखते हैं। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी का अपना नाम, कथा और महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024) 18 नवंबर को पड़ रही है।

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    वहीं, इस दिन का उपवास तभी पूरा होता है, जब चंद्रमा को अर्घ्य और इसकी व्रत कथा का पाठ किया जाए, तो आइए यहां पर पढ़ते हैं।

    गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Katha)

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नदी के किनारे देवी पार्वती भगवान शंकर के साथ बैठी थीं। तभी उन्होंने चौपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में शिव जी ने और मां पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया। ताकि खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके पश्चात पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया।

    इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन माता पार्वती ने कहा कि ''श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।''

    उन्होंने कहा कि ''संकष्टी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना।'' बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा (Sankashti Chaturthi 2024 Katha) से गौरी पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसके जीवन की सभी समस्याओं का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुशी-खुशी व्यतीत करने लगता है।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।