Ganesh Chaturthi 2025: कोई सात तो कोई दस दिन के लिए करता है गणेश जी की स्थापना, जानिए इसका कारण
आपने देखा होगा कि कुछ लोग ढाई दिन कुछ सात दिन तो कुछ 10 दिन के लिए गणेश जी की स्थापना करते हैं। अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन किया जाता है। कुछ लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार कम दिनों के लिए भी गणेश जी की स्थापना करते हैं। अलग-अलग दिनों पर गणेश स्थापना करने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं मिलती हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज यानी 27 अगस्त को देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन पर गणेश जी की स्थापना (Ganesh Chaturthi sthapana) का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक रहने वाला है। लोग अपने घर में गणपति जी की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा करते हैं। कुछ लोग गणेश उत्सव के बाद तुरंत विसर्जन कर देते हैं, जबकि कुछ डेढ़, तीन, पांच, सात या ग्यारहवें दिन गणेश जी का विसर्जन करते हैं।
डेढ़ या तीन दिन बाद विसर्जन
गणपति महोत्सव दस दिनों तक चलता है। इस दौरान गणपति बप्पा की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। सार्वजनिक स्थानों पर दस दिनों तक बप्पा की पूजा होती है। वहीं, भक्तजन अपने घरों पर प्रतिमा स्थापित कर बप्पा की पूजा, भक्ति और सेवा करते हैं। रात्रि में जागरण कर गणपति बप्पा का भजन कीर्तन करते हैं। अगले दिन पूजा-पाठ कर दोपहर बेला के बाद भगवान गणेश को विदा करते हैं।
इसके पीछे यह मान्यता है कि भक्तजन अतिथि की तरह गणेश जी का सेवा और सत्कार करते हैं और अतिथि की तरह ही उन्हें विदा भी करते हैं। इसके पीछे और भी कारण हो सकते हैं, जैसे बिजी शेड्यूल के चलते कई लोगों के लिए 10 दिनों तक गणेश जी की सेवा करना संभव नहीं होता।
क्या 5वें दिन विसर्जन नहीं करना चाहिए?
वहीं, कई भक्त 5वें दिन भी गणेश विसर्जन (Ganesh Chaturthi belief) करते हैं। लेकिन ऐसा करना शास्त्र संगत नहीं माना जाता है। शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि स्कंदमाता को समर्पित माना जाता है। माता पार्वती को देवी स्कंद भी कहा जाता है। भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा जाता है। अतः गणेश चतुर्थी के पंचमी तिथि पर भगवान गणेश संग स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इसके लिए पंचमी तिथि पर गणेश जी को विदा न करें।
(Picture Credit: AI Image)
अनंत चतुर्दशी पर क्यों किया जाता है विसर्जन?
पौराणिक कथा के अनुसार, गणेश जी लगातार 10 दिनों तक महाभारत ग्रंथ लिखते रहे, जिस कारण उनके शरीर का तापमान बढ़ गया था। शरीर पूरा तपने लगा था। 10 दिनों के बाद गणेश जी के शरीर के ताप को संतुलित करने के लिए वेद व्यास जी ने उन्हें सरोवर में स्नान करने की विनती की। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश ने जल में डुबकी लगाई। अतः अनंत चतुर्दशी के शुभ अवसर पर भगवान गणेश जी को विदा किया जाता है।
धर्म पंडितों की मानें तो चिरकाल में एक बार भगवान गणेश अपने बड़े भाई भगवान कार्तिकेय से मिलने उनके घर (दक्षिण) पहुंचें। अपने भाई के घर पर भगवान गणेश दस दिनों तक रहें। इसके बाद वहां से अपने लोक लौट गए। उस समय समस्त भक्तजनों ने उन्हें दोबारा आने की विनती की। इसके लिए गणपति विसर्जन के समय का उद्घोष करते हैं।
गणपती बाप्पा मोरया,
पुढच्या वर्षी लवकर या (मराठी)
गणपती बाप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ (हिंदी)
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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