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    आध्यात्मिक संदेश और मानवता की एकता का प्रतीक है Guru Nanak Jayanti, जरूर करें ये काम

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 01:59 PM (IST)

    हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2025) मनाई जाती है। इस पर्व को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस खास अवसर पर गुरुद्वारों में धार्मिक कार्यक्रम और लंगर का आयोजन किया जाता है। 

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    सिख श्रद्धालुओं के लिए खास है गुरु नानक जयंती (Image Source: AI-Generated) 

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2025) सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस के रूप में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को आता है और इसे प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन गुरु जी के जन्म से अंधकार मिटा और संसार में ज्ञान, भक्ति तथा समानता का प्रकाश फैला।

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    गुरु नानक देव जी का जन्म वर्ष 1469 ईस्वी में तलवंडी नामक स्थान (अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब) में हुआ था। यही स्थान आज विश्वभर के सिख श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है।

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    (Pic Credit - Freepik)

    गुरु नानक जयंती का धार्मिक अनुष्ठान

    गुरु नानक जयंती के दिन श्रद्धालु अत्यंत भक्ति भाव से गुरुद्वारों में एकत्र होकर धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इस अवसर पर गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ तीन दिनों तक किया जाता है, जिसमें निरंतर पाठ और भजन-कीर्तन चलते रहते हैं।

    सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, जिनमें श्रद्धालु गुरु नानक देव जी के भजनों का गायन करते हुए नगर भ्रमण करते हैं। कीर्तन दरबार और लंगर सेवा का आयोजन हर गुरुद्वारे में किया जाता है, जहां सभी को समान भाव से भोजन कराया जाता है। यह पर्व प्रेम, सेवा और समानता की भावना का प्रतीक बनकर समाज में एकता का संदेश देता है।

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    (Pic Credit - Freepik)

    गुरु नानक जयंती का आध्यात्मिक संदेश

    गुरु नानक जयंती का आध्यात्मिक संदेश यह सिखाता है कि सच्चा धर्म केवल बाहरी आडंबरों या कर्मों में नहीं, बल्कि सत्य, प्रेम और सेवा के मार्ग में निहित है। गुरु नानक देव जी ने बताया कि ईश्वर किसी मंदिर, मस्जिद या मूर्ति में नहीं, बल्कि हर जीव के भीतर विद्यमान है।

    उन्होंने लोगों को समझाया कि जब हम अपने विचारों और कर्मों में करुणा, विनम्रता और ईमानदारी लाते हैं, तभी सच्ची भक्ति का अनुभव होता है। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम दूसरों की सेवा करें, समानता का सम्मान करें और हर प्राणी में उसी परमात्मा का स्वरूप देखें यही जीवन का सच्चा आध्यात्मिक उद्देश्य है।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।