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    Hanuman Ji ki Leela: हनुमानजी ने क्यों अपना सीना चीरकर श्रीराम और सीता के कराए दर्शन, जानिए पौराणिक कथा

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sat, 13 May 2023 05:09 PM (IST)

    हनुमानजी की भक्ति करने से सभी संकट समाप्त होते हैं। भक्तों को शांति और सुख प्राप्त होता है। बजरंगबली को प्रसन्न करना हो तो उनके नाम का जाप करने की बजाय भगवान राम के नाम का जाप करना चाहिए।

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    Hanuman Ji ki Leela क्यों हनुमान जी ने चीर दिया था अपना सीना? जानिए पौराणिक कथा।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Why did Hanuman ji tore his chest: शास्त्रों के अनुसार, हनुमान अजर-अमर हैं। रामायण में हनुमान जी के विषय में विस्तार से बताया गया है। वह छंद सभी को याद है जब श्री राम भक्त हनुमान ने अपना सीना चीरकर यह सिद्ध कर दिया की रामचंद्र जी का उनसे बड़ा भक्त कोई नहीं है। आइए जानते हैं, कि हनुमान जी को अपना सीना चीरने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

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    माता सीता ने हनुमान को दिया बहुमूल्य उपहार

    जब चौदह वर्षों के वनवास को बाद अयोध्या वापिस लौटने पर भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था तो उसके बाद दरबार में उपस्थित सभी लोगों को उपहार दिए गए। इसी दौरान माता सीता ने रत्न जड़ित एक बहुमूल्य माला हनुमान जी को भेंट की। हनुमान जी ने खुशी-खुशी वह माला ले ली। लेकिन थोड़ी दूरी जाकर वह अपने दांतों से माला को तोड़ते हुए बड़ी गौर से देखने लगे। उसके बाद उदास होकर एक-एक कर उन्होंने सारे मोती तोड़कर फेंक दिए। यह सब देखकर दरबार में उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।

    हनुमान पर लक्ष्मण को आया क्रोध

    जब हनुमान जी मोती तोड़कर फेंक रहे थे तब लक्ष्मण जी ने इस व्यवहार को श्री राम का अपमान समझा और उन्हें हनुमान पर क्रोध आने लगा। इस बात को उन्होंने प्रभु राम से कहा कि हनुमान को माता सीता ने बहुमूल्य रत्नों की माला उपहार में दी और इन्होंने उस माला को तोड़कर फेंक दिया। जिसके बाद भगवान राम ने उत्तर दिया कि  जिस कारण से हनुमान ने उन रत्नों को तोड़ा है यह उन्हें ही मालूम है। इसलिए इसका उत्तर तुम्हें हनुमान से ही मिलेगा।

    बिना राम नाम के सभी चीजें अमूल्य

    इसके उत्तर में हनुमान जी ने कहा कि मेरे लिए हर वह वस्तु बेकार है, जिसमें राम का नाम ना हो। मैंने यह हार अमूल्य समझ कर लिया था, लेकिन जब मैंने इसे देखा तो पाया कि इसमें कहीं भी राम का नाम नहीं है। उन्होंने कहा आगे कहा कि मेरी समझ से कोई भी वस्तु श्री राम के नाम के बिना अमूल्य नहीं हो सकती। अतः मेरे हिसाब से उसे त्याग देना चाहिए।

    देखकर सभी रह गए दंग

    यह बात सुनकर भ्राता लक्ष्मण बोले कि आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है तो इस शरीर को क्यों रखा है? इस शरीर को भी त्याग दो। लक्ष्मण की बात सुनकर हनुमान जी ने अपना वक्षस्थल नाखूनों से चीरकर उसे लक्ष्मण सहित दरबार में उपस्थित सभी लोगों को दिखाया, जिसमें श्रीराम और माता सीता की सुंदर छवि दिखाई दे रही थी। यह घटना देख कर लक्ष्मण आश्चर्यचकित रह गए, और अपनी गलती के लिए उन्होंने हनुमान जी से क्षमा मांगी।

    By- Suman Saini

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'