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    Hariyali Amavasya पर तर्पण के बाद करें ये चमत्कारी उपाय, दूर होगी पितरों की नाराजगी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 23 Jul 2025 05:04 PM (IST)

    सनातन धर्म में पीपल पेड़ (Hariyali Amavasya 2025 remedies) की पूजा का विधान है। शास्त्रों में निहित है कि पीपल पेड़ में देवी-देवताओं और पितरों का वास होता है। ज्योतिषियों की मानें तो पीपल पेड़ की पूजा करने से न्याय के देवता शनिदेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

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    Hariyali Amavasya 2025: हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में हरियाली अमावस्या का खास महत्व है। यह पर्व हर साल सावन शिवरात्रि के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। इसके अलावा, हरियाली अमावस्या के दिन दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

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    ज्योतिष शास्त्र में हरियाली अमावस्या के दिन विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। अगर आप भी पितृ दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो हरियाली अमावस्या के दिन पीपल से जुड़े ये उपाय जरूर करें।

    पीपल के पेड़ से जुड़े उपाय

    • अगर आप पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो हरियाली अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के बाद पीपल के वृक्ष को जल का अर्घ्य दें। आप गंगाजल से भी अर्घ्य दे सकते हैं। इसके बाद पीपल पेड़ की परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से पितरों की कृपा साधक पर बरसती है।
    • पितरों की कृपा पाने के लिए संध्याकाल में पीपल वृक्ष के नीचे काले तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस समय पितृ चालीसा का पाठ करें। इस उपाय को करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
    • अगर आप पितृ दोष से निजात पाना चाहते हैं, तो पीपल को जल का अर्घ्य देते समय पितृ दोष निवारण दोष स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से पितरों की कृपा साधक पर बरसती है।
    • हरियाली अमावस्या के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में बेलपत्र और पीपल का पत्ता डालकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से साधक पर महादेव की कृपा बरसती है।

    शिव मंत्र

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

    6. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

    ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।