Hartalika Teej 2025: हरतालिका तीज पर ऐसे करें महादेव और मां पार्वती की पूजा, जानें धार्मिक महत्व
हरतालिका तीज का व्रत (Hartalika Teej 2025) भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। इस पर्व को हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं हरतालिका तीज की पूजा विधि और महत्व के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल हरतालिका तीज का निर्जला व्रत महिलाएं पूर्ण भक्ति भाव से रखती हैं। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार यह व्रत आज यानी 26 अगस्त को किया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भी यह व्रत कठोर तपस्या के साथ भगवान शिव को पाने के लिए रखा था।
ऐसे में इस व्रत (Hartalika Teej 2025) में किसी भी तरह की भूल न हो इसलिए इसकी पूजा विधि, मुहूर्त से लेकर सबकुछ जानते हैं।
हरतालिका तीज का महत्व (Hartalika Teej 2025 Significance)
धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पिता के घर का त्याग कर जंगल में जाकर कठोर तपस्या की थी ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें। उनके इस तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। 'हरतालिका' शब्द 'हरत' (अपहरण) और 'आलिका' (सखी) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है सखी द्वारा माता पार्वती का अपहरण।
ऐसा इसलिए किया गया था ताकि माता पार्वती का विवाह उनकी इच्छा के बिना न हो। यह व्रत त्याग और प्रेम का प्रतीक है।
- पूजा मुहूर्त (Hartalika Teej 2025 Puja Time) - सुबह 05 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक ।
- चन्द्रोदय समय (Hartalika Teej 2025 Moon RiseTiming) - सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर।
पूजा की सही विधि (Hartalika Teej 2025 Puja Vidhi)
- पूजा के लिए शिव-पार्वती की प्रतिमा मिट्टी से बनाएं या खरीदें।
- एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और उनकी विधिवत पूजा करें।
- रोली, गंगाजल, चंदन, धतूरा, बेलपत्र, फूल, फल, मिठाई और अक्षत आदि चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान हरतालिका तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
- अंत में आरती करें और फिर सभी में प्रसाद बांटें।
- बड़ों का आशीर्वाद लें।
- हरतालिका तीज की रात को जागरण करने का भी महत्व है।
- रात में भजन-कीर्तन करें और भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करें।
- अगले दिन व्रत का पारण करें।
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