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    Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत में क्या करें और क्या नहीं? एक क्लिक में जानिए व्रत से जुड़े सभी नियम

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 03:20 PM (IST)

    जितिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं। यह संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। यह तीन दिन तक चलता है। इस साल यह व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। इस व्रत (Jitiya Vrat 2025) को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन सभी को करना चाहिए। आइए जानते हैं -

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    Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत के नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है। इसे महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए रखती हैं। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है और विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस साल जितिया व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। ऐसे में आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    जितिया व्रत में क्या करें (Jitiya Vrat 2025 Dos)

    • नहाय-खाय - व्रत का पहला दिन 'नहाय-खाय' के रूप में जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करती हैं और सात्विक भोजन का सेवन करती हैं। भोजन में मरुवा की रोटी और नोनी का साग शामिल किया जाता है।
    • निर्जला व्रत - व्रत का मुख्य दिन, जिसे 'खुर-जितिया' कहते हैं। यह पूरी तरह से निर्जला रखा जाता है। यह व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण तक चलता है।
    • शाम की पूजा - दूसरे दिन, शाम के समय महिलाएं जितिया देवी की पूजा करती हैं और कथा सुनती हैं।
    • तर्पण - व्रत के दौरान कुश के बने जीमूतवाहन की पूजा भी की जाती है। कुछ महिलाएं जीमूतवाहन को अर्पित करने के लिए नदी या तालाब में तर्पण भी करती हैं।
    • पारण - व्रत का पारण तीसरे दिन किया जाता है। पारण के समय झींगा मछली और मडुआ रोटी खाने का रिवाज है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।
    • दान - व्रत पूर्ण होने के बाद जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र का दान किया जाता है।

    जितिया व्रत में क्या न करें (Jitiya Vrat 2025 Donts)

    अन्न-जल का सेवन - व्रत के दूसरे दिन महिलाएं अन्न और जल का त्याग करती हैं। इस दिन पानी की एक बूंद भी नहीं पीनी चाहिए।

    तामसिक भोजन - जितिया व्रत के दौरान तामसिक भोजन का सेवन गलती से भी नहीं करना चाहिए।

    नकारात्मकता से दूर रहें - इस दौरान लड़ाई-झगड़े और नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए।

    अनजाने में गलती - अगर गलती से व्रत के दौरान कुछ खा लिया जाए, तो तुरंत मां से क्षमा मांगनी चाहिए और अगले साल व्रत को विधिपूर्वक करने का संकल्प लेना चाहिए।

    किसी का अपमान करना - व्रत के दौरान किसी भी व्यक्ति, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों का अपमान नहीं करना चाहिए। यह व्रत प्रेम, दया और त्याग का प्रतीक है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।