Jyeshtha Purnima 2025 Date: कब मनाया जाएगा ज्येष्ठ पूर्णिमा का त्योहार? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima 2025) की खास तिथि को जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने की आखिरी तिथि यानी पूर्णिमा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस शुभ तिथि पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। तो ऐसे में चलिए जानते हैं कि ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima 2025) के शुभ मुहूर्त के बारे में
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Jyeshtha Purnima 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून अप्रैल को सुबह 11 बजकर 35 मिनट से होगी और अगले दिन यानी 11 जून को दोपहर 01 बजकर 13 मिनट तिथि खत्म होगी। ऐसे में 11 जून (Kab Hai Jyeshtha Purnima 2025) को ज्येष्ठ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 19 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 07 बजकर 42 मिनट पर
चंद्रास्त- चंद्रास्त नहीं
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 36 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 18 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक
यह भी पढ़ें: Shukra Pradosh Vrat 2025: शुक्र प्रदोष व्रत किसको करना चाहिए और कैसें करें जानिए सब कुछ
ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Jyeshtha Purnima Significance)
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पर विधिपूर्वक व्रत करना चाहिए है। साथ ही श्रद्धा अनुसार, गरीब लोगों या मंदिर में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान भी करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से दुखों का नाश होता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मां लक्ष्मी मंत्र
1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
2. ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः
3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।
यह भी पढ़ें: Purnima 2025 List: साल 2025 में कब-कब मनाई जाएगी पूर्णिमा, यहां पढ़ें पूरी लिस्ट
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।