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    Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date: कब मनाई जाएगी काल भैरव जयंती? जानें तिथि और नियम

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 11:30 AM (IST)

    काल भैरव जयंती, जिसे भैरव अष्टमी या कालाष्टमी भी कहते हैं। यह भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव को समर्पित है। इस दिन काल भैरव की पूजा करने से भय, पाप और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है, साथ ही राहु-केतु व शनि दोष भी दूर होते हैं। आइए इस तिथि (Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    Kaal Bhairav Jayanti 2025 Date: काल भैरव जयंती का महत्व है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। काल भैरव जयंती का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह भगवान शिव के रौद्र और उग्र स्वरूप काल भैरव जी को समर्पित है। इसे भैरव अष्टमी व कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। ऐसे में इस तिथि पर उनकी पूजा करने से साधक को भय, पाप और सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है, तो आइए इस पावन तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    कब है काल भैरव जयंती 2025? (Kaal Bhairav Jayanti 2025 Kab Hai?)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025, मंगलवार को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 12 नवंबर 2025, बुधवार को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए कालभैरव जयंती का पर्व 12 नवंबर 2025, दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

    काल भैरव जयंती का महत्व (Kaal Bhairav Jayanti 2025 Significance)

    भगवान काल भैरव को 'काशी का कोतवाल' भी कहा जाता है। इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उनकी उपासना करने से सभी प्रकार के भय, शत्रु और बाधाएं दूर होती हैं। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु या शनि दोष होता है, उनके लिए इस दिन भैरव जी की पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है। वहीं, यह तिथि तंत्र-मंत्र साधना के लिए भी विशेष महत्व रखती है।

    जरूर करें ये काम (Kaal Bhairav Jayanti 2025 Rituals)

    • दीपदान - काल भैरव मंदिर में या घर पर ही सरसों के तेल का दीपक जलाकर भैरव बाबा का ध्यान करें।
    • भोग - भैरव बाबा को जलेबी, उड़द की दाल के पकौड़े और नारियल का भोग लगाएं।
    • मंत्र जाप - "ॐ काल भैरवाय नमः" या "ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
    • भैरव अष्टक पाठ - काल भैरव अष्टक का पाठ करने से भय दूर होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।