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    Hanuman Janmotsav 2025: साल में 2 बार क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती, पढ़िए बेहद खास वजह

    Updated: Mon, 24 Mar 2025 11:33 AM (IST)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोजाना प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। साथ ही बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2025) का दिन शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025) मनाया जाता है।

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    Hanuman Janmotsav 202: हनुमान जन्मोत्सव का धार्मिक महत्व (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में चैत्र माह का विशेष महत्व है। इस माह के आने का हनुमान जी के भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि इस माह में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का अवतरण हुआ था। इसी वजह से चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025) के रूप में मनाया जाता है।

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    इस दिन बजरंगबली की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। इससे प्रभु प्रसन्न होते हैं और जीवन खुशहाल होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में 2 बार हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti twice a year) क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं पता, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

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    हनुमान जन्मोत्सव 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Hanuman Janmotsav 2025 Date and shubh muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह  03 बजकर 21 मिनट पर हो रही है और तिथि का समापन अगले दिन यानी 13 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल को मनाया जाएगा।

    ये है वजह

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जी (Hanuman Jayanti Significance) का अवतरण हुआ था। तो इसलिए इस दिन जन्म लेने की वजह से उनका चैत्र पूर्णिमा पर  जन्मोत्सव मनाया जाता है। वहीं, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भी हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस हनुमान जयंती को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

    पौराणिक कथा के मुताबिक, बचपन में बजरंगबली को भूख लगी, तो वह सूर्य को फल समझकर खाने के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने सूर्य को खाने का प्रयास किया,जिसकी वजह से पृथ्वी पर अंधेरा छाने लगा। इस बात के बारे में इंद्रदेव को पता लगा, तो प्रभु को रोकने लिए अपने वज्र से प्रहार कर दिया, जिसकी वजह से हनुमान जी मूर्छित हो गए।

    इस दृश्य को देख पवनदेव क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मांड की प्राण वायु रोक दी, जिसकी वजह से पृथ्वी लोक पर हाहाकार मच गया। ऐसे में फिर ब्रह्माजी ने पवनदेव करने का प्रयास किया और बजरंगबली को जीवनदान दिया। इसी वजह से चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है।

    धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर बजरंगबली को माता सीता ने अमर होने का वरदान दिया था। इसलिए कार्तिक माह में  हनुमान जयंती मनाई जाती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।