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    Pitru Paksha 2025: कब से होगी पितृ पक्ष की शुरुआत? जानें डेट, पितृ तर्पण और श्राद्ध के नियम

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 03:53 PM (IST)

    पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) का समय बेहद खास माना गया है। यह पितरों को समर्पित है। ऐसा कहते हैं कि इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में पितृ पक्ष की डेट और तर्पण व श्राद्ध कर्म के नियम जानते हैं।

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    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष की डेट और प्रमुख बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह 15-16 दिन की अवधि होती है, जब पितरों यानी पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस दौरान लोग अपने पितरों को याद कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। माना जाता है कि इस अवधि (Pitru Paksha 2025) में पितृ धरती लोक पर आते हैं और सभी के कष्टों को दूर करते हैं।

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    पितृ पक्ष की शुरुआत कब होगी? (Pitru Paksha Date And Time)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 07 सितंबर को ही रात 11 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में दिन रविवार, 07 सितंबर 2025 के दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत होने जा रही है। इसके साथ ही इसकी समाप्ति सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगी।

    पितृ तर्पण और श्राद्ध के नियम (Rules For Ancestral Offerings And Shraadh)

    • सही तिथि - श्राद्ध हमेशा पितरों की मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है। अगर आपको अपने पितरों की मृत्यु की तिथि याद न हो तो सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर्म कर सकते हैं।
    • ब्राह्मण भोजन - श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
    • तर्पण - पितृ पक्ष में प्रतिदिन जल, तिल और कुशा से पितरों का तर्पण किया जाता है। तर्पण करते समय उनका नाम लेकर जल अर्पित किया जाता है।
    • पवित्रता - इस दौरान घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए और मांस, मदिरा, व किसी भी तरह के तामसिक भोजन से बचना चाहिए।
    • दान - पितृ पक्ष में जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजों का दान करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।
    • पवित्र स्थान - श्राद्ध कर्म किसी पवित्र स्थान, जैसे गंगा घाट आदि पर करना अधिक फलदायी माना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।