Kalashtami पर दुर्लभ 'ब्रह्म योग' समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, बरसेगी महादेव की कृपा
इस कालाष्टमी पर दुर्लभ ब्रह्म योग सहित कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन शुभ योगों में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है और उसकी तकदीर बदल सकती है। अष्टमी तिथि 11 नवंबर देर रात 11:08 बजे शुरू होकर 12 नवंबर देर रात 10:58 बजे समाप्त होगी, जबकि ब्रह्म योग सुबह 08:03 बजे से रहेगा।
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काल भैरव जयंती का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, बुधवार 12 नवंबर को कालाष्टमी है। यह पर्व हर साल अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही काल भैरव देव के निमित्त व्रत रखा जाता है। तंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की कठिन साधना करते हैं।

ज्योतिषियों की मानें तो अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की तकदीर बदल जाएगी। आइए, कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार 11 नवंबर को देर रात 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को देर रात 10 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। वैदिक जानकारों की मानें तो 12 नवंबर को कालाष्टमी जयंती मनाई जाएगी।
ब्रह्म योग (Brahma Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो अगहन माह की कालाष्टमी पर दुर्लभ ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का संयोग सुबह 08 बजकर 03 मिनट से बन रहा है। इससे पहले शुक्ल योग का संयोग है। शुक्ल योग का संयोग सुबह 08 बजकर 02 मिनट तक है। इसके साथ ही कालाष्टमी पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग देर रात 10 बजकर 58 मिनट तक है। शिववास योग के दौरान काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा। साथ ही अधूरे काम बन जाएंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 29 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 56 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 55 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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