Kartik Purnima 2025 Date: 04 या 05 नवंबर, कब है कार्तिक पूर्णिमा? यहां नोट करें सही तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2025 Date) के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। मान्यता है कि देवता पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान और दीपदान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, शिव पूजा और संध्याकाल में दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
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Dev Diwali 2025: देव दीपावली का धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का खास महत्व है। यह दिन बेहद खास होता है। इस शुभ अवसर पर धूमधाम से देव दीवाली मनाई जाती है। देव दीवाली की संध्या पर गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।

सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर देवों के देव महादेव ने असुर त्रिपुरासुर का वध करके तीनों लोकों की रक्षा की थी। कहते हैं कि त्रिपुरासुर का वध करने के लिए भगवान शिव को त्रिपुरारी कहा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव पृथ्वी लोक पर आते हैं। इस मौके पर देवता गंगा स्नान कर भगवान शिव की पूजा करते हैं और दीपदान करते हैं। देव दीवाली के दिन गंगा नदी के तट पर गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
धार्मिक मत है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर देवों के देव महादेव की पूजा करने और संध्याकाल में दीपदान करने से साधक को जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा से जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए, कार्तिक पूर्णिमा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Kartik Purnima Shubh muhurat 2025)
- कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत- 4 नवंबर को देर रात 10 बजकर 36 मिनट पर
- कार्तिक पूर्णिमा का समापन- 05 नवंबर को शाम 06 बजकर 48 मिनट पर
- देव दीवाली आरती का समय- संध्याकाल 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 50 मिनट तक
कार्तिक पूर्णिमा शुभ योग (Kartik Purnima Shubh Yog 2025)
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक पूर्णिमा पर सिद्धि योग, शिववास, अश्विनी, बव और बालव जैसे कई मंगलकारी संयोग बनेंगे। इन योग में गंगा स्नान, देवों के देव महादेव की पूजा, जप-तप और दान करने से व्यक्ति विशेष को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही शिवजी की कृपा से हर मनोकामना पूरी होगी।
- सिद्धि योग- सुबह 11 बजकर 28 मिनट तक
- शिववास योग- शाम 06 बजकर 48 मिनट से
- अश्विनी नक्षत्र- सुबह 09 बजकर 40 मिनट तक
- बव और बालव करण का संयोग रात भर
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