Karwa Chauth 2025 Vrat Katha: करवा चौथ में जरूर पढ़ें यह कथा, तभी मिलेगा व्रत का पूरा फल
करवा चौथ का व्रत आज यानी 10 अक्टूबर को रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए कठिन व्रत का पालन करती हैं। कहा जाता है कि इसका पालन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तो आइए यहां इस व्रत की पावन कथा (Karwa Chauth 2025 Vrat Katha) का पाठ करते हैं जो इस प्रकार हैं -

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। करवा चौथ का पावन पर्व आज मनाया जा रहा है। यह दिन हर सुहागिन महिला के लिए बेहद खास होता है, जब वह अपने पति की लंबी उम्र, अच्छी सेहत के लिए निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत जितना कठिन है, उतना ही फलदायी भी है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ (Karwa Chauth 2025) का व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक इसकी व्रत कथा का पाठ न किया जाए, क्योंकि कथा सुनने से ही व्रत का संकल्प पूरा होता है, तो आइए यहां इस पावन कथा का पाठ करते हैं।
चंद्रोदय और पारण समय
करवा चौथ का चांद रात में 08 बजकर 13 मिनट पर निकलेगा। इस समय व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं।
करवा चौथ व्रत की कथा (Karwa Chauth 2025 Vrat Katha)
एक समय की बात है, एक द्विज नाम का ब्राह्मण था, जिसके सात बेटे और वीरावती नाम की बेटी थी। वीरावती ने अपने मायके में पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा। यह व्रत बहुत कठिन होता है, जिसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता। पूरे दिन के निर्जला व्रत से वीरावती बहुत परेशान हो गई थी। अपनी बहन की यह हालत देखकर सातों भाइयों को बहुत दुख हुआ। वे जानते थे कि चांद निकलने से पहले वह व्रत नहीं तोड़ेगी। अपनी बहन को परेशान देखकर, उन्होंने एक युक्ति निकाली। वे गांव के बाहर एक वट के वृक्ष पर गए और वहां लालटेन जलाकर उसे कपड़े से ढक दिया। दूर से देखने पर ऐसा लगा, मानो आसमान में चंद्रमा उदय हो गया हो। भाइयों ने वीरावती से कहा, "बहन, देखो! चांद निकल आया है। जल्दी से अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल लो।" वीरावती ने अपने भाइयों की बात पर विश्वास कर लिया और उस लालटेन को 'चांद' मानकर अर्घ्य दे दिया और भोजन करने बैठ गई। जैसे ही वीरावती ने भोजन करना शुरू किया, उसके साथ अशुभ घटनाएं होने लगीं।
पहले कौर में उसे बाल मिला। दूसरे कौर में उसे जोर से छींक आ गई। तीसरे कौर में उसे ससुराल से बुलावा मिला कि उसके पति बहुत बीमार हैं। वीरावती तुरंत अपने ससुराल पहुंची, लेकिन वहां पहुंचते ही उसने देखा कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है। यह देखकर वीरावती रोने लगी।
उसी समय वहां देवी इंद्राणी आईं। उन्होंने वीरावती को बताया कि गलत समय पर व्रत तोड़ दिया था, इसलिए उसके पति की यह हालत हुई है। देवी इंद्राणी ने वीरावती से कहा कि अगर वह सच में अपने पति का जीवन चाहती है, तो वह अगले साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का व्रत पूरी विधि और निष्ठा के साथ करे। वीरावती ने देवी इंद्राणी की आज्ञा मानकर अगले साल पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत किया।
उसके इस व्रत के प्रभाव से उसके मृत पति को दोबारा से जीवनदान मिल गया। तभी से सुहागिन महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। यह परंपरा आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाई जाती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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