Mahabharat Arjun: महाभारत के अर्जुन क्यों कहे जाते हैं पार्थ? जानिए अन्य नामों की भी कहानी
पांच पांडवों में से एक अर्जुन महाभारत ग्रंथ (Arjun Name Fact) का एक प्रमुख पात्र रहा है। अर्जुन एक महान योद्धा होने के साथ-साथ धनुर्धर भी थे। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी की भूमिका भी निभाई थी। वह अर्जुन को पार्थ कहकर बुलाया करते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अर्जुन को यह नाम कैसे मिला।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत का युद्ध इतिहास का सबसे भीषण युद्ध रहा है। अर्जुन, जो इस युद्ध का मुख्य पात्र था, वह कुंती की तीसरी संतान है। अर्जुन को कई नामों से जाना जाता है और इन नामों के पीछे का कारण भी काफी रोचक है। ऐसे में चलिए जानते हैं अर्जुन से जुड़े कुछ नाम और उनका अर्थ।
मां से मिला पार्थ नाम
अर्जुन को पार्थ नाम अपनी माता कुंती के कारण मिला। दरअसल में कुंती को "पृथा" नाम से भी जाना जाता है। इसी वजह से अर्जुन को "पार्थ" (Arjun name significance) कहा जाता है। यहां पृथा का शाब्दिक अर्थ है पृथा का पुत्र।
क्या थी पाण्डु पुत्र की असलियत![]()
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अर्जुन व उनके अन्य भाइयों को पाण्डु पुत्र के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पांडव, पाण्डु की संतान थे। लेकिन असल में पाण्डु को यह श्राप मिला था कि अगर वह किसी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाएगा, तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। ऐसी स्थिति में खुद को मिले एक वरदान का उपयोग कर पांडवों को उत्पन्न किया। जिसके अनुसार, कुंती किसी भी देवता का आवाहन कर उनसे एक पुत्र की प्राप्ति कर सकती थी। वास्तव में अर्जुन का जन्म इंद्र देव की कृपा से हुआ था।
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इस कारण कहलाए धनंजय
अर्जुन (Arjun Name Facts) को धनंजय के नाम से भी जाना जाता है। इस नाम के पीछे यह कारण माना जाता है कि अर्जुन अपने बल पर कई देशों को जीतकर धन लाए थे, इसलिए उन्हें धनंजय के नाम से भी जाना जाता है।
इसलिए बनना पड़ा बृहन्नला
चौसर के खेल में हारने के बाद पांडवों और द्रौपदी को अज्ञातवास झेलना पड़ा था, जिसके अनुसार, उन्हें बिना किसी की नजर में आए एक अपरिचित जगह पर रहना था। इस दौरान सभी को 13 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास बिताना पड़ा था। इस दौरान राजकुमार अर्जुन ने विराट नगर में एक नृत्य शिक्षक का वेश धारण किया। इस वेश में उन्हें बृहन्नला के नाम से जाना गया।
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