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    Mahabharata Story: पुत्रमोह में आकर गांधारी ने तोड़ी थी प्रतिज्ञा, फिर भी नहीं बचा सकी दुर्योधन की जान

    Updated: Fri, 14 Feb 2025 01:43 PM (IST)

    महाभारत के युद्ध (Mahabharata Katha) में भगवान श्रीकृष्ण ने प्रत्यक्ष रूप से तो भाग नहीं लिया था यानी उन्होंने अस्त्र नहीं उठाए थे लेकिन फिर भी उनका पांडवों को युद्ध जीताने में बड़ा योगदान रहा। आज हम आपको इसी से संबंधित एक कथा बताने जा रहे हैं जिसके अनुसार दुर्योधन को हराने में भी भगवान श्रीकृष्ण की एक चालाकी काम आई थी।

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    Gandhari story श्रीकृष्ण की किस चालाकी से गई दुर्योधन की जान?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महर्षि वेदव्यास के ग्रंथ महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का वर्णन मिलता है। इस युद्ध के कई कारण रहे जैसे कौरवों का पांडवों के साथ अन्याय, द्रौपदी का चीरहरण आदि। दुर्योधन का शुरू से पांडवों के प्रति घृणा का भाव भी महाभारत युद्ध की एक मुख्य वजह रही है और इसी कारण अंत में दुर्योधन को मौत का सामना भी करना पड़ा।

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    गांधारी ने क्यों बांधी थी पट्टी

    जब गांधारी को यह पता चला कि उसका विवाह एक नेत्रहीन राजा के साथ होने जा रहा है, तो उसने अपना पत्नी धर्म निभाते हुए आंखों पर पट्टी (Gandhari blindfold) बांध ली थी। गांधारी ने सोचा कि जब मेरे पति ही नेत्रहीन हैं, तो मुझे संसार की किसी वस्तु को देखने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन महाभारत के दौर में एक समय ऐसा भी आया जब गांधारी को अपनी पट्टी खोलने पर विवश होना पड़ा।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    कब खोली आंखों की पट्टी

    जब महाभारत का युद्ध हो रहा था, तो एक-एक करके सभी कौरव मारे गए। अंत में केलव सबसे बड़ा दुर्योधन ही बचा। तब गांधारी ने पुत्र मोह में आकर अपनी आंखों की पट्टी उतारी थी। असल में गांधारी भगवान शिव की परम भक्त थी, उन्हें उसे वरदान दिया था कि वह जिस भी व्यक्ति को खुली आंखों से नग्न अवस्था में देखेगी, उसका शरीर वज्र का हो जाएगा।

    तब गांधारी ने दुर्योधन के प्राणों की रक्षा करने से लिए उससे कहा कि तुम मेरे सामने बिना किसी वस्त्र के आना। जब दुर्योधन बिना वस्त्रों के कुंती के सामने जाने लगा, तो कि भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) पूरी बात समझ गए। तब उन्होंने दुर्योधन को रोका और कहा कि इतने बड़े होकर अपनी माता के सामने नग्न अवस्था में जाने में तुम्हें लज्जा नहीं आती।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    इस तरह हुई दुर्योधन की मृत्यु

    भगवान श्रीकृष्ण की यह बात सुनकर दुर्योधन ने अपनी कमर के निचले हिस्से को पत्तों से ढक लिया और इसी तरह अपनी माता के सामने चले गए। तब कुंती ने आंखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन को देखा, तो उसने शरीर पर पत्ते लपेटे हुए थे। इससे कुंती ने दुखी होकर दुर्योधन से कहा कि अब तुम्हारा कमर से ऊपर का हिस्सा को व्रज का हो गया, लेकिन निचला भाग अभी भी सामान्य है।

    तब दुर्योधन कुंती से कहता है कि आप परेशान न हों, कल में भीम से गदा युद्ध करूंगा, क्योंकि उसमें कमर से नीचे प्रहार करना वर्जित होता है। अगले दिन जब भीम और दुर्योधन में गदा युद्ध होता है, तब भीम देखता है कि उसपर गदा के प्रहार का कोई असर नहीं हो रहा। तब भगवान श्रीकृष्ण भीम को इशारा करते हुए याद दिलाते हैं, कि उसने दुर्योधन की जांघ तोड़ने का प्रण लिया था। तब भीमसेन दुर्योधन की जांघ उखाड़ कर उसका वध कर देता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।