Mahakumbh 2025: क्यों इतना खास है अमृत स्नान? जानिए इसका धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में महाकुंभ मेले को बहुत ही विशेष माना गया है। यह मेला हर 12 सालों में एक बार लगता है। वहीं इस दौरान (Maha Kumbh Shahi Snan 2025) शाही स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व है। ऐसा माना जाता है कि एक बार महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के बराबार फल प्राप्त होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में महाकुंभ मेले को सबसे बड़े और सबसे पवित्र समारोहों में से एक माना जाता है। हर बारह साल में यह भक्ति भरा मेला एक बार आता है। 2025 में इस शुभ आयोजन में भाग लेने के लिए लाखों श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शामिल हुए हैं। त्रिवेणी संगम में जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों का मिलन होता है।
वहीं, यहां पर पूजा अनुष्ठान व अमृत स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, तो आइए अमृत स्नान का इतना महत्व (Mahakumbh 2025 Amrit Snan) क्यों है इसके बारे में जानते हैं।
अमृत स्नान का महत्व (Mahakumbh 2025 Amrit Snan Significance)
महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान का काफी महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को मोक्ष और सभी पापों से छुटकारा मिलता है। खासकर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के तट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। वहीं, इस बार महाकुंभ 2025 में कुल 6 अमृत स्नान होंगे, जिसमें पहला स्नान पौष पूर्णिमा यानी 13 जनवरी को किया जा चुका है। वहीं, दूसरा शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन आयोजित किया गया था।
इसके बाद तीसरा 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन और 02 फरवरी को वसंत पंचमी के दिन चौथा शाही स्नान किया जाएगा। इसके अलावा आखिर के दो शाही स्नान 12 फरवरी, माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन किए जाएंगे। ऐसे में अगर आप भी सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो महाकुंभ में शाही स्नान करने के लिए जरूर जाएं।
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अमृत स्नान के समय रखें इन बातों का ध्यान (Mahakumbh 2025 Amrit Snan Rules)
- नदी को अपवित्र न करें।
- स्नान के समय साबुन व शैंपू का उपयोग न करें।
- स्नान के बाद देवी गंगा की श्रद्धा के साथ पूजा करें।
- अमृत स्नान के समय तामसिक चीजों से परहेज बनाएं रखें।
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