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    Mahalakshmi Vrat 2025: कब से शुरू हो रहा है महालक्ष्मी व्रत, जानें सही तिथि और पूजा विधि

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 06:32 PM (IST)

    महालक्ष्मी व्रत (mahalakshmi vrat 2025) को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए एक उत्तम समय माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय व्रत करने से साधक को धन सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि।

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    Mahalakshmi Vrat 2025: पढ़ें महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत होती है। वहीं इस व्रत का समापन आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस बार महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत (mahalakshmi vrat 2025 date) किस दिन से होने जा रही है। 

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    महालक्ष्मी व्रत कब है 

    इस साल महालक्ष्मी व्रत (mahalakshmi vrat date 2025) का आरंभ रविवार 31 अगस्त से होने जा रहा है। वहीं इस व्रत का समापन रविवार 14 सिंतबर को होगा। माना जाता है कि जो भी साधक इस व्रत को सच्ची श्रद्धा से करता है, उसे धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

    महालक्ष्मी पूजा की विधि

    महालक्ष्मी पूजा विधि में सबसे पहले स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ कर लें और गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। लक्ष्मी जी को गंगाजल या पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद एक कल कलश में जल, सुपारी, हल्दी, अक्षत, कमल गट्टा और पंच पल्लव डाले। कलश पर नारियल रखें व चुनरी लपेटकर इसकी स्थापित करें।

    इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और नवग्रहों का पूजन करें और इसके बाद, महालक्ष्मी जी का श्रृंगार करें। पूजा में लक्ष्मी जी को सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। इसके साथ ही कमल, दूर्वा, अक्षत, रोली, धूप, दीप, फल, मिठाई और दक्षिणा आदि अर्पित करें। अंत में लक्ष्मी जी की आरती करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करें।

    करें इन मंत्रों का जप

    1. लक्ष्मी मूल मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।

    2. कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र - ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

    3. लक्ष्मी गायत्री मंत्र - ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||

    4. ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।