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    Mahalakshmi Vrat 2025: महालक्ष्मी व्रत के आखिरी शुक्रवार पर इस तरह करें लक्ष्मी जी को प्रसन्न

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 10:22 AM (IST)

    महालक्ष्मी व्रत (mahalakshmi vrat 2025) की अवधि मां लक्ष्मी की कृपा पाने का उत्तम समय है। इस साल यह व्रत 31 अगस्त से शुरू हो चुका है जो 14 सितंबर तक चलने वाला है। इस दौरान साधक 16 दिनों तक व्रत करते हैं विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं।

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    Mahalakshmi Vrat 2025 महालक्ष्मी व्रत में क्या करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत मानी जाती है। साथ ही इस व्रत का समापन आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होता है। ऐसा माना जाता है, कि जो भी साधक श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करता है, उसे धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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    महालक्ष्मी व्रत में आने वाला शुक्रवार विशेष महत्व रखता है। ऐसे में आप महालक्ष्मी व्रत केआखिरी शुक्रवार पर इस तरह देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

    जरूर करें ये काम

    महालक्ष्मी व्रत के दौरान कलाई में एक 16 गांठ वाला पवित्र धागा बांधा जाता है, जिसे देवी लक्ष्मी के 16 स्वरूपों का प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस पवित्र धागे को आप व्रत समाप्ति के बाद अपनी तिजोरी या धन के स्थान पर भी रख सकते हैं। ऐसा करने से आपको धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।

    करें इन चीजों का दान

    महालक्ष्मी व्रत के दौरान आप गरीबों व जरूरतमंद लोगों को धन, भोजन व वस्त्र आदि का दान कर सकते हैं। इसके साथ ही आप मिठाई, दूध, चावल और सफेद वस्त्रों का भी दान कर सकते हैं। महालक्ष्मी व्रत के दौरान इन चीजों का दान करना काफी शुभ माना गया है। इससे साधक को मां लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति होती है।

    रखें इन बातों का ध्यान

    हिंदू धर्म में माना गया है कि मां लक्ष्मी केवल उसी स्थान पर वास करती हैं, जहां साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए। ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए अपने घर की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। इस व्रत में नमक का सेवन वर्जित है। केवल सात्विक भोजन करें और खट्टी व नमकीन चीजों से दूरी बनाएं।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    करें इन मंत्रों का जप

    1. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

    2. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

    3. श्री लक्ष्मी बीज मंत्र -

    ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

    4. लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र -

    नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।

    या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।

    5. श्री लक्ष्मी महामंत्र -

    ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।