Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mangala Gauri Vrat 2025: मंगला गौरी व्रत पर करें इस कथा का पाठ, विवाह से जुड़ी मुश्किलें होंगी दूर

    मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है जो वैवाहिक सुख और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत में मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन उपवास रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आज सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2025) रखा जा रहा है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Tue, 22 Jul 2025 06:20 AM (IST)
    Hero Image
    Mangla Gauri Vrat Katha: मंगला गौरी व्रत की कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2025) बहुत शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। साथ ही मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं, इस तिथि पर जो लोग कठिन उपवास का पालन कर रहे हैं, उन्हें इसकी व्रत कथा का पाठ भी जरूर करना चाहिए, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    मंगला गौरी व्रत की कथा (Mangla Gauri Vrat Katha Ka Path)

    प्राचीन समय में एक धर्मपाल नाम का सेठ था। वह बहुत बड़ा शिव भक्त और धनी था। उसका विवाह हुआ, लेकिन उसे संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इस बात को लेकर सेठ परेशान रहने लगा। वह सोचने लगा कि अगर उसकी कोई संतान नहीं हुई, तो उसके कारोबार का उत्तराधिकारी कौन होगा? ऐसे में उसकी पत्नी ने इस बात को लेकर प्रकांड पंडित से संपर्क करने की राय दी।

    पंडित ने सेठ को महादेव और माता पार्वती की पूजा करने के लिए कहा। इसके बाद उसकी पत्नी ने श्रद्धा भाव से उपासना की। पत्नी की भक्ति से माता पार्वती प्रसन्न हुईं और प्रकट होकर बोली कि हे देवी! तुम्हारी भक्ति से मैं अति प्रसन्न हूं, जो वर मांगना चाहते हो! मांगो। मैं तुम्हारी सभी मुरादें पूरी करूंगी। इस दौरान पत्नी ने संतान प्राप्ति की कामना की। माता पार्वती ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन संतान अल्पायु था।

    एक साल के बाद पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। पुत्र के नामकरण के दौरान धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिष को अवगत कराया। तब ज्योतिष ने सेठ धर्मपाल को पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने के लिए कहा। ज्योतिष ने कहा कि सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से की। कन्या के पुण्य प्रताप से सेठ के पुत्र को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

    यह भी पढ़ें: Sawan 2025 2nd Somwar: भगवान शिव को क्यों कहा जाता है गंगाधर? जानिए पौराणिक कथा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।