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    Margashirsha Amavasya 2024: आज है मार्गशीर्ष अमावस्या, इस समय करें पितरों का तर्पण, नोट करें नियम

    Updated: Sun, 01 Dec 2024 09:43 AM (IST)

    मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में बेहद विशेष माना गया है। यह मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष के 15वें दिन पड़ती है। इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya 2024) 1 दिसंबर 2024 दिन रविवार यानी आज मनाई जा रही है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन धार्मिक कार्य और दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए। कहा जाता है इससे जीवन में खुशहाली आती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

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    Margashirsha Amavasya 2024: इस समय करें पितरों का तर्पण। (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू कैलेंडर में अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है, जो मार्गशीर्ष महीने में कृष्ण पक्ष के 15वें दिन पड़ती है। इसे अगहन अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है। वहीं, इस दिन को पितृ पूजा करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है, जिससे पूर्वजों की आत्माओं को मुक्ति मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya 2024) 1 दिसंबर 2024 दिन रविवार यानी आज मनाई जा रही है, तो इस दिन पितरों का तर्पण कैसे करना है, आइए उसके बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    इस समय करें पितरों का तर्पण (Pitru Tarpan Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 53 मिनट तक रहेगा और निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। कहते हैं कि पितरों का तर्पण हमेशा मध्य काल में किया जाता है। इसलिए दोपहर के समय पितरों का पिंडदान व तर्पण करने की कोशिश करें।

    ऐसे करें पितरों तर्पण (Pitru Tarpan Vidhi)

    • किसी जानकार पुरोहित की मौजूदगी में ही पितरों का तर्पण करें।
    • जिस स्थान में तर्पण करना हो, वहां पर गंगाजल का छिड़काव करें।
    • इसके बाद एक दीपक जलाएं।
    • जिसका तर्पण करना हो उसका चित्र स्थापित करें।
    • पितृ देवता के मंत्रों से उनका आवाहन करें और ध्यान करें।
    • कुश की जूड़ी लेकर जल से भरे लोटे में डालें।
    • फिर पितरों का नाम लेते हुए जल चढ़ाएं।
    • इसके साथ ही दूध, दही, घी आदि को भी जल में मिलाकर अर्पित करें।
    • तर्पण के समय ओम तर्पयामी मंत्र का जाप करें।
    • पिंड बनाकर उन्हें कुश पर रखकर जल से सींचें।
    • उनका प्रिय भोजन चढ़ाएं।
    • फिर पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
    • अंत में पशु और पक्षियों को भोजन कराएं।
    • तर्पण के पश्चात क्षमता अनुसार दान-पुण्य करें।

    तर्पण के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

    1. ॐ पितृ देवतायै नम:।।

    2. ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।।

    3. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।