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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर घर में ही इस विधि करें स्नान, नोट करें शुभ मुहूर्त

    Updated: Tue, 28 Jan 2025 02:59 PM (IST)

    माघ माह की अमावस्या इस साल बहुत ही खास होने वाली है क्योंकि इस अवसर पर महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) का तीसरा अमृत स्नान किया जाएगा। कहा जाता है कि अमृत स्नान करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। चलिए जानते हैं कि आप इस दिन किस मुहूर्त में और किस विधि से स्नान कर शुभ फलों की प्राप्ति कर सकते हैं।

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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर स्नान का शुभ मुहूर्त (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। माघ अमावस्या पर मौन साधना करना काफी लाभदायक माना जाता है, इसलिए इसे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 Puja Vidhi) भी कहा जाता है। इस साल यह अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस तरह घर पर ही पुण्य स्नान का लाभ उठा सकते हैं।

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    मौनी अमावस्या पर स्नान का महत्व

    सनातन धर्म में गंगा को सर्वाधिक पवित्र नदी माना गया है। साथ ही यह भी माना गया है कि, मौनी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृत समान होता है। इस दिन गंगा में स्नान मात्र से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद साधक जन्म-मरण के बंधन से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इसी कारण मौनी अमावस्या को गंगा स्नान के लिए एक उत्तम दिन माना गया है।

    अमृत स्नान का समय (Mauni Amavasya Snan Shubh Muhurat)

    इस बार मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र और उत्तराषाढा नक्षत्र रहने वाला है। ऐसे में इन दोनों ही नक्षत्र में गंगा नदी में स्नान करने से साधक को अक्षय फलों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में इन शुभ मुहूर्त का समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    उत्तराषाढा - 30 जनवरी सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक

    श्रवण नक्षत्र - इस नक्षत्र का आरंभ मौनी अमावस्या के दिन सुबह 08 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन ही 30 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक होगा।

    (Picture Credit: PTI)

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    कैसे करें अमृत स्नान (Mauni Amavasya kaise kare Snan)

    मौनी अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान जरूर करें। अगर आपके लिए ऐसा करना संभव नहीं है, तो आप आसपास भी किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। वहीं आप घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। अब बाद भगवान विष्णु और महादेव की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करें। साथ ही आप इस दिन पर इन मंत्रों का जप भी कर सकते हैं -

    शिव जी के मंत्र -

    • ॐ नमः शिवाय
    • ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्
    • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्

    (Picture Credit: PTI)

    विष्णु जी के मंत्र -

    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    • ॐ नमो नारायणाय
    • ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
    • शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं, विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं, वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम्

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।