ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का रहस्य… रात में भोलेनाथ और माता पार्वती चौसर खेलकर करते हैं विश्राम
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे ओंकार पर्वत पर स्थित है। माना जाता है कि भगवान राम के वंशज राजा मंधाता और कुबेर ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। यह स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है जिसे नर्मदा नदी ने घेरा हुआ है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। नर्मदा नदी के बीच एक द्वीप पर बने ओंकार पर्वत पर यह मंदिर स्थित है। कहते हैं कि भगवान राम के वंशज राजा मंधाता और कुबेर ने यहां भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी।
इससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए और ज्योति के रूप में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह स्वयं प्रकट हुआ है, किसी ने इसे स्थापित नहीं किया है। मान्यता है कि नर्मदा नदी ने स्वयं इस ज्योतिर्लिंग को चारों तरफ से घेरा हुआ है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
रात में यहां होती है गुप्त आरती
ओंकारेश्वर मंदिर में हर रात भगवान शिव और माता पार्वती विश्राम करने के लिए आते हैं। रात में यहां गुप्त शयन आरती (Mystery of Omkareshwar Jyotirling) की जाती है, जिसमें मंदिर का सिर्फ एक पुजारी मौजूद रहता है। इसके बाद यहां चौसर और पासे रखकर मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। सुबह मंदिर खोलने पर चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व
कहते हैं कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अशांत मन को यहां आने से शांति मिलती है। जीवन की समस्याओं का समाधान होता है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्थित है।
कहते हैं कि ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बिना ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन अधूरे होते हैं। इसके अलावा ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
महाकाल का भी बना है मंदिर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के ऊपर महाकालेश्वर मंदिर भी उसी तरह से बना है, जैसे उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर बना हुआ है। इस वजह से ओंकारेश्वर में दर्शन करने से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का पुण्य भी भक्तों को मिलता है।
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परमार और मराठा राजाओं ने कराया निर्माण
वर्तमान में जैसा पांच मंजिला मंदिर दिखता है, प्राचीन समय में ऐसा नहीं था। मालवा के परमार राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का जिर्णोद्धार कराया था। इसके बाद मराठा राजाओं ने ओंकारेश्वर मंदिर का निर्माण करवाकर इसे भव्य स्वरूप दिया था।
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