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    Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी के दिन क्यों पूजे जाते हैं मृत्यु के देवता यमराज? पढ़ें धार्मिक महत्व

    Updated: Fri, 10 Oct 2025 09:00 PM (IST)

    नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं, अंधकार पर प्रकाश की विजय और जीवन-मृत्यु के रहस्यों का प्रतीक है। इस दिन यमराज की पूजा करने से मृत्यु का भय कम होता है और अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। यह पर्व जीवन की सुरक्षा, शांति और समृद्धि लाता है। गेहूं के आटे से दीपक बनाकर दक्षिण दिशा में रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और मां लक्ष्मी की कृपा आती है।

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    Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी का धार्मिक महत्व

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। हिंदू धर्म में हर पर्व और व्रत का अपना एक विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इनमें नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली या रूप चौदस भी कहा जाता है, विशेष रूप से मनाया जाता है। यह दिन केवल अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह जीवन और मृत्यु के गहरे रहस्यों की याद दिलाने वाला भी दिन है। कैसे? आइए जानते हैं।

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    chhoti diwali 2025

    यमराज की पूजा का महत्व

    इस दिन यमराज, जिन्हें मृत्यु और जीवन के संतुलन का अधिपति माना जाता है, विशेष रूप से पूजनीय होते हैं। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर यमराज का स्मरण करने से मृत्यु का भय कम होता है और जीवन में अकाल मृत्यु या अनहोनी की आशंका से मुक्ति मिलती है। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से यमदेव की पूजा की जाती है।

    इस प्रकार, नरक चतुर्दशी और यमराज की पूजा केवल मृत्यु के भय को कम करने तक सीमित नहीं है। यह पर्व जीवन की सुरक्षा, परिवार की रक्षा, मानसिक शांति और समृद्धि का प्रतीक भी है। यमदेव की विधिपूर्वक आराधना से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है और जीवन में संतुलन, खुशहाली और सुख-समृद्धि बनी रहती है।

    गेहूं के आटे से इस तरह बनाए दीपक

    नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय गेहूं के आटे से एक दीपक बनाएं। इसके बाद चार छोटी-बड़ी बत्तियां तैयार करें और उन्हें दीपक में रखें। अब दीपक में सरसों का तेल डालें और दीपक तैयार होने के बाद उसके चारों ओर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद इस दीपक को घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर रखें।

    ध्यान रखें कि दीपक के नीचे थोड़ा अनाज जरूर रखें। इस विधि से दीपक जलाने पर घर में अकाल मृत्यु की बाधा टल जाती है, सकारात्मक ऊर्जा, सुख-शांति और मां लक्ष्मी की कृपा आती है। यह सरल परंपरा घर में धन, वैभव और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है और पूरे परिवार के लिए खुशहाली लेकर आती है।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।