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    Pradosh Vrat 2025: अक्टूबर महीने में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और महत्व

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 09:00 PM (IST)

    आश्विन माह के अंतिम प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन दान-पुण्य किया जाता है।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कार्तिक माह का खास महत्व है। यह महीना भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। इस महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस शुभ अवसर पर देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसके अगले दिन तुलसी विवाह मनाया जाता है।

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    कार्तिक महीने में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें धनतेरस, दीवाली और छठ पूजा प्रमुख हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षों में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है। आइए, अक्टूबर माह के प्रदोष व्रत की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 04 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 09 मिनट पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 05 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि का समापन दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा प्रदोष काल में होती है। इसके लिए 04 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    इस दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 29 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 55 मिनट तक है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 19 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा होती है। इसके लिए 18 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    इस दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 15 मिनट से लेकर 07 बजकर 45 मिनट तक है। कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत भी शनिवार के दिन पड़ रहा है। इसके लिए यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।