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    Panchmukhi Hanumat Kavach: वीर हनुमान की पूजा दिलाएगी जीवन के हर क्षेत्र में जीत, ऐसे करें उन्हें प्रसन्न

    Updated: Sat, 30 Mar 2024 08:40 AM (IST)

    संकटमोचन की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अगर शनिवार के दिन वीर हनुमान की पूजा विधि विधान के साथ की जाए तो जीवन की सभी मुश्किलें क्षण भर में समाप्त हो जाती हैं। ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद उन्हें सिंदूर चमेली का तेल चोला लाल लंगोट अर्पित करें। ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।

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    Panchmukhi Hanumat Kavach : पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Panchmukhi Hanumat Kavach: रामभक्त हनुमान जी की पूजा का शास्त्रों में विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि संकटमोचन की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अगर मंगलवार और शनिवार के दिन वीर हनुमान की पूजा विधि विधान के साथ की जाए, तो जीवन की सभी मुश्किलें क्षण भर में समाप्त हो जाती हैं। ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। इसके बाद किसी मंदिर जाकर या फिर घर पर उन्हें सिंदूर, चमेली का तेल, चोला, लाल लंगोट अर्पित करें।

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    इसके बाद पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करें। इस उपाय को 7 शनिवार करें। ऐसा करने से हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त होगी, तो आइए पंचमुखी हनुमत कवच का पाठ करते हैं।

    ''पंचमुखी हनुमत कवच''

    ॥श्री गरुड उवाच ॥

    अथ ध्यानं प्रवक्ष्यामि शृणु सर्वांगसुंदर।

    यत्कृतं देवदेवेन ध्यानं हनुमत: प्रियम्।।

    महाभीमं त्रिपञ्चनयनैर्युतम्|

    बाहुभिर्दशभिर्युक्तं सर्वकामार्थसिद्धिदम्।।

    पूर्वं तु वानरं वक्त्रं कोटिसूर्यसमप्रभम्।

    दंष्ट्राकरालवदनं भ्रुकुटिकुटिलेक्षणम्।।

    अस्यैव दक्षिणं वक्त्रं नारसिंहं महाद्भुतम्।

    अत्युग्रतेजोवपुषं भीषणं भयनाशनम्।।

    पश्चिमं गारुडं वक्त्रं वक्रतुण्डं महाबलम्।

    सर्वनागप्रशमनं विषभूतादिकृन्तनम्।।

    उत्तरं सौकरं वक्त्रं कृष्णं दीप्तं नभोपमम्।

    पातालसिंहवेतालज्वररोगादिकृन्तनम्।।

    ऊर्ध्वं हयाननं घोरं दानवान्तकरं परम्।

    येन वक्त्रेण विप्रेन्द्र तारकाख्यं महासुरम्।।

    जघान शरणं तत्स्यात्सर्वशत्रुहरं परम्।

    ध्यात्वा पञ्चमुखं रुद्रं हनुमन्तं दयानिधिम्।।

    खड़्गं त्रिशूलं खट्वाङ्गं पाशमङ्कुशपर्वतम्।

    मुष्टिं कौमोदकीं वृक्षं धारयन्तं कमण्डलुम्।।

    भिन्दिपालं ज्ञानमुद्रां दशभिर्मुनिपुङ्गवम्।

    एतान्यायुधजालानि धारयन्तं भजाम्यहम्।।

    प्रेतासनोपविष्टं तं सर्वाभरणभूषितम्।

    दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्।।

    सर्वाश्‍चर्यमयं देवं हनुमद्विश्‍वतो मुखम्।

    पञ्चास्यमच्युतमनेकविचित्रवर्णवक्त्रं।।

    शशाङ्कशिखरं कपिराजवर्यम्।

    पीताम्बरादिमुकुटैरुपशोभिताङ्गं

    पिङ्गाक्षमाद्यमनिशं मनसा स्मरामि।।

    मर्कटेशं महोत्साहं सर्वशत्रुहरं परम्।

    शत्रुं संहर मां रक्ष श्रीमन्नापदमुद्धर।।

    ॐ हरिमर्कट मर्कट मन्त्रमिदं परिलिख्यति लिख्यति वामतले|

    यदि नश्यति नश्यति शत्रुकुलं यदि मुञ्चति मुञ्चति वामलता।।

    बजरंग बली की जय, वीर हनुमान की जय, संकटमोचन हनुमान जी की जय!!!

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।