Pitru Paksha 2025: गयाजी नहीं जा पाए तो न हों परेशान, इन पवित्र स्थानों पर कर सकते हैं श्राद्ध
पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) में पितरों का श्राद्ध किया जाता है। श्राद्ध के लिए गयाजी सबसे पवित्र स्थान माना गया है लेकिन जो लोग किसी वजह से वहां नहीं जा सकते हैं हिंदू धर्म में उनके लिए और भी कई उत्तम स्थान बताए गए हैं। इन स्थानों पर श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और आत्मा को शांति मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pitru Paksha 2025: इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। गया को श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन अगर आप वहां नहीं जा पाए, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। सनातन धर्म में ऐसे और भी कई पवित्र स्थान बताए गए हैं, जहां श्राद्ध करके आप अपने पितरों को खुश कर सकते हैं, तो आइए उन स्थानों के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -
इन पवित्र स्थानों पर करें श्राद्ध (Perform Shradh At These Holy Places)
- घर की दक्षिण दिशा - पितृ पक्ष के दौरान आप अगर पितरों का श्राद्ध करने के लिए गयाजी नहीं जा पाएं हैं, तो आप घर की दक्षिण दिशा में भी किसी जानकार पुरोहित की मौजूदगी में श्राद्ध कर सकते हैं। इससे आपके पितृ प्रसन्न होंगे।
- पवित्र नदी - पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए गंगा तट या फिर किसी पवित्र नदी तट पर भी जा सकते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- हरिद्वार - हरिद्वार को 'हरि का द्वार' कहा जाता है। यहां पर गंगा नदी में स्नान करने और श्राद्ध करने का बहुत महत्व है। हरिद्वार में आप गंगा के तट पर बैठकर पिंडदान कर सकते हैं। यहां श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
- काशी - काशी, जिसे वाराणसी भी कहते हैं, यह भगवान शिव की नगरी है। यहां पर श्राद्ध करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। बता दें कि काशी के गंगा घाटों पर श्राद्ध कर्म करने की परंपरा सदियों पुरानी है।
- प्रयागराज - प्रयागराज को 'तीर्थराज' के नाम से जाना जाता है। यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम होता है। इस पवित्र संगम पर श्राद्ध करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। यहां पर पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है।
- बद्रीनाथ - बद्रीनाथ भगवान विष्णु का एक पवित्र धाम है। यहां पर 'ब्रह्म कपाल' नाम का एक घाट है, जहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यहां पिंडदान करने के बाद पितरों को मोक्ष मिलता है और उन्हें दोबारा पिंडदान की जरूरत नहीं पड़ती।
- रामेश्वरम - रामेश्वरम को दक्षिण का काशी कहा जाता है। यहां के समुद्र में स्नान करके श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। यहां पर भगवान राम ने भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध किया था।
श्राद्ध के नियम
- श्राद्ध हमेशा कुतुप मुहूर्त में करना अच्छा माना जाता है।
- श्राद्ध के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- गाय, कुत्ते, कौए और चींटियों को भी भोजन कराएं।
- पूरे पितृ पक्ष में सात्विक भोजन करें।
- किसी भी नए काम की शुरुआत न करें।
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