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    Pitru Paksha 2025: चंद्र ग्रहण से होगी पितृपक्ष की शुरुआत अंत में सूर्य ग्रहण, जानिए श्राद्ध की तिथियां

    Updated: Wed, 02 Jul 2025 04:29 PM (IST)

    भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) में पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस वर्ष 7 से 21 सितंबर तक यह समय है लेकिन एक ही पक्ष में दो ग्रहण लगने से चिंता है। 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण भारत में दिखेगा जिसका सूतक काल मान्य होगा इसलिए श्राद्ध दोपहर से पहले करें।

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    ग्रहण के दौरान सूतक काल के समय से बचना चाहिए।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से शुरू होने वाले पितृ पक्ष अश्विन मास की अमावस्या पर खत्म होते हैं। इन 15 दिनों में पितृ पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए लोग श्राद्ध और तर्पण, अर्पण करते हैं। इस साल यह समय सितंबर में 7 तारीख से लेकर 21 तारीख तक रहेगा। 

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    मगर, इस बार एक ही पक्ष में दो ग्रहण के लगने से स्थितियां ठीक नहीं हैं। दरअसल, ऐसा देखा गया है कि जब एक ही पक्ष में दो ग्रहण लगते हैं, तो कई तरह की परेशानियां और प्राकृतिक घटनाएं होती हैं। ऐसे में पितृ पक्ष की शुरुआत और अंत दोनों ही ग्रहण से हो रही हैं। 

    चंद्र ग्रहण पर मान्य होगा सूतक काल

    इसे लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है कि क्या किया जाए। दरअसल, 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा। चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 को रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होगा। 

    ग्रहण का मोक्ष 3 घंटे 28 मिनट बाद रात 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। इसका सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाएगा। ऐसे में दोपहर 12 बजकर 58 मिनट से पहले श्राद्ध और तर्पण करना उचित होगा।

    सूर्य ग्रहण पर नहीं लगेगा सूतक काल

    इसके बाद 21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भी नहीं माना जाएगा। लिहाजा, इस दिन श्राद्ध और तर्पण करने में कोई परेशानी नहीं है। इसके अलावा ग्रहण के दिन दान और पुण्य भी करना चाहिए। पितृ पक्ष में यह समय होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 

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    पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां 

    पूर्णिमा का श्राद्ध - 7 सितंबर 

    प्रतिपदा का श्राद्ध - 8 सितंबर

    द्वितीया का श्राद्ध - 9 सितंबर 

    तृतीया और चतुर्थी का श्राद्धा - 10 सितंबर 

    पंचमी का श्राद्ध - 11 सितंबर 

    षष्ठी का श्राद्ध - 12 सितंबर 

    सप्तमी का श्राद्ध - 13 सितंबर 

    अष्टमी का श्राद्ध - 14 सितंबर 

    नवमी का श्राद्ध - 15 सितंबर 

    दशमी का श्राद्ध - 16 सितंबर 

    एकादशी का श्राद्ध - 17 सितंबर 

    द्वादशी का श्राद्ध - 18 सितंबर 

    त्रयोदशी का श्राद्ध - 19 सितंबर 

    चतुर्दशी का श्राद्ध - 20 सितंबर 

    सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध - 21 सितंबर 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।