Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pitru Dosh: कब और कैसे लगता है पितृ दोष? यहां पढ़ें इसका धार्मिक महत्व

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 02:00 PM (IST)

    पितृ पक्ष की अवधि पितरों को समर्पित है। इस दौरान पूर्वजों का तर्पण पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति को पितृ दोष (Pitru Dosh) लगने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं पितृ दोष के कारण और इसके प्रकार के बारे में।

    Hero Image
    Pitru Dosh: क्या है पितृ दोष लगने के करण

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। भारतीय ज्योतिष और पुराणों में पितृ दोष (Pitru Dosh) को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों के अनुसार जब किसी की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति ऐसी बनती है कि पितरों की आत्मा असंतुष्ट मानी जाए या उनके आशीर्वाद की कमी अनुभव हो, तब पितृ दोष उत्पन्न होता है। यह दोष व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों, रुकावटों और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पितृ दोष के प्रकार

    1. कर्मजन्य पितृ दोष

    यह दोष तब बनता है जब व्यक्ति अपने आचरण और व्यवहार में पितरों का आदर नहीं करता, उनके लिए श्राद्ध या तर्पण नहीं करता या उनके द्वारा दिए गए संस्कारों और परंपराओं को त्याग देता है। ऐसे में पितर रुष्ट हो जाते हैं और परिणामस्वरूप परिवार में कलह, मानसिक अशांति और कार्यों में रुकावट आती है।

    (Pic Credit- Freepik)

    2. ऋणजन्य पितृ दोष

    यदि पूर्वज अपने जीवनकाल में किसी का ऋण चुका नहीं पाते या अधूरे संकल्प अधूरे छोड़कर चले जाते हैं, तो उनकी यह अधूरी ऊर्जा वंशजों को प्रभावित करती है। इससे संतान को बार-बार आर्थिक संकट, कर्ज़ और अस्थिरता का सामना करना पड़ता है।

    3. अकाल मृत्यु पितृ दोष

    जब किसी पितर की मृत्यु असामान्य परिस्थितियों जैसे दुर्घटना, आत्महत्या या युद्ध में हो जाती है, तो उनकी आत्मा अधूरी रह जाती है। यह असंतोष आने वाली पीढ़ियों की कुंडली में पितृ दोष के रूप में प्रकट होता है और अचानक संकट, बीमारियाँ व असफलताओं का कारण बनता है।

    4. श्राद्ध व तर्पण न करने से उत्पन्न पितृ दोष

    पितरों की शांति और तृप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण आवश्यक माने गए हैं। जब वंशज इन कर्तव्यों को निभाने में लापरवाही करते हैं, तो पितर असंतुष्ट रहते हैं और परिणामस्वरूप परिवार में आर्थिक कठिनाइयाँ, रोग और संतान सुख में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।

    5. ग्रहों से उत्पन्न पितृ दोष

    ज्योतिष के अनुसार जब सूर्य, चंद्रमा, शनि, राहु या केतु अशुभ स्थिति में होकर पंचम (संतान भाव) या नवम भाव (धर्म व पितरों का भाव) को प्रभावित करते हैं, तब यह दोष बनता है। विशेषकर राहु-केतु इन भावों में स्थित होने पर संतान सुख, शिक्षा और भाग्य में रुकावट आती है।

    निष्कर्ष

    पितृ दोष चाहे किसी भी कारण से उत्पन्न हुआ हो कर्म, ऋण, अकाल मृत्यु, श्राद्ध की उपेक्षा या ग्रहों की स्थिति से यह जीवन में बाधाएं लाता है। इसका निवारण पितरों के प्रति श्रद्धा, कर्तव्य पालन और शास्त्रसम्मत विधियों से संभव है।

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष में क्यों जरूरी है पितरों का श्राद्ध? यहां मिलेगा जवाब

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में रोजाना की जरूरतों के सामान खरीदने चाहिए या नहीं, क्या कहते हैं ज्योतिष के जानकार

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।