Pradosh Vrat 2025: मई के आखिरी प्रदोष व्रत पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, प्रसन्न होंगे भोलेनाथ
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है जो पूर्ण रूप से भगवान शिव की कृपा के लिए समर्पित है। माना जाता है कि जो साधक प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) करता है और विधि-विधाने से शिव जी की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करने का विशेष महत्व है। ऐसे में आप मई के आखिरी प्रदोष व्रत पर, जो 24 मई को किया जाएगा शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको महादेव की असीम कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है।
प्रदोष व्रत मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 25 मई को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में प्रदोष व्रत शनिवार 24 मई को किया जाएगा। इस दिन पर शिव जी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शाम 7 बजकर 20 मिनट से रात 9 बजकर 13 मिनट तक
शिव जी की पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर शिव जी और पार्वती माता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- शिवलिंग का कच्चे दूध, गंगाजल, और शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- शिव जी को बेलपत्र, धतूरा, और भांग आदि अर्पित करें।
- भोग के रूप में खीर, हलवा आदि अर्पित करें।
- माता पार्वती को 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- घी का दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- अंत में सभी लोगों में प्रसाद बांटें।
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॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥ (Shiv Panchakshar Stotram Mantra)
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,
तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,
तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥
वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,
तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥
यक्षस्वरूपाय जटाधराय,
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय,
तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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