Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Radha Ashtami 2025: भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में राधा जी की रही है अनमोल भूमिका

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 04:35 PM (IST)

    पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि पर राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2025) मनाई जाती है। ऐसे में इस बार यह पर्व 31 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह तो लगभग सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के जीवन में राधा जी की अनमोल भूमिका रही है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

    Hero Image
    Radha Ashtami 2025 प्रेम और भक्ति का दिव्य संगम हैं राधा-कृष्ण।

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। जब भी हम श्रीकृष्ण के जीवन और उनके लीलामय व्यक्तित्व की चर्चा करते हैं, तो राधा जी का नाम स्वयं ही जुड़ जाता है। राधा और कृष्ण का संबंध केवल दो व्यक्तियों का संबंध नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। श्रीकृष्ण जहां प्रेम के स्रोत हैं, वहीं राधा जी उस प्रेम का शुद्धतम स्वरूप हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिव्य प्रेम का प्रतीक

    राधा-कृष्ण का संबंध संसार को यह सिखाता है कि प्रेम का वास्तविक रूप स्वार्थ से परे है। राधा जी ने कभी श्रीकृष्ण से कुछ मांगा नहीं, उन्होंने केवल समर्पण किया। उनका प्रेम त्याग, विश्वास और समर्पण पर आधारित है। यही कारण है कि आज भी “राधे-कृष्ण” का नाम एक साथ लिया जाता है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    भक्ति की सर्वोच्च प्रेरणा

    राधा जी का नाम श्रीकृष्ण की भक्ति का मूल माना जाता है। वे भक्ति मार्ग की वह ज्योति हैं जो हर भक्त के हृदय को आलोकित करती है। राधा जी ने अपने प्रेम को भक्ति में बदल दिया और संसार को दिखाया कि ईश्वर तक पहुंचने का सबसे सरल मार्ग प्रेम और भक्ति है। शास्त्रों में राधा जी को श्रीकृष्ण की शक्ति माना गया है। यदि श्रीकृष्ण भगवान हैं, तो राधा उनकी महाशक्ति हैं। जिस प्रकार बिना शक्ति के शिव शून्य हो जाते हैं, उसी प्रकार बिना राधा के श्रीकृष्ण की लीलाएं अधूरी हैं।

    प्रेरणा का स्रोत

    राधा-कृष्ण का प्रेम हर युग, हर भक्त के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह संबंध हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम न शरीर से होता है और न ही किसी स्वार्थ से, बल्कि आत्मा से होता है। यही कारण है कि राधा और कृष्ण का नाम अलग नहीं किया जा सकता।

    समापन

    श्रीकृष्ण के जीवन में राधा जी की भूमिका अनमोल है। वे प्रेम की मूरत, भक्ति की आधारशिला और शक्ति का स्वरूप हैं। राधा जी के बिना श्रीकृष्ण की महिमा अधूरी है और श्रीकृष्ण के बिना राधा का अस्तित्व अधूरा। दोनों का यह दिव्य मिलन मानव जीवन को यह सिखाता है कि प्रेम ही ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग है।

    यह भी पढ़ें- Radha Ashtami 2025: इन मंत्रों के जप से करें राधा रानी को प्रसन्न, पूरी होगी मनचाही मुराद

    यह भी पढ़ें- Radha Ashtami 2025: अपनी बेटी को दें राधा रानी के ये नाम, यूनिक होने के साथ-साथ खास है अर्थ

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।