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    ब्राह्मण की संतान रावण क्यों कहलाया असुरों का राजा, कैसे मिली थी सोने की लंका?

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 04:03 PM (IST)

    रावण का विरोधाभासी व्यक्तित्व उसके ब्राह्मण पिता और असुर माता के कारण था। विद्वान ब्राह्मण होते हुए भी, माता के प्रभाव और अपनी महत्वाकांक्ष ...और पढ़ें

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    रावण की सोने की लंका (Image Source: AI-Generated)

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रावण के व्यक्तित्व में विरोधाभास का सबसे बड़ा कारण उसका जन्म और कुल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण के पिता महर्षि विश्रवा थे, जो महान ऋषि पुलस्त्य के पुत्र और एक अत्यंत विद्वान ब्राह्मण थे। वहीं, रावण की माता कैकसी एक असुर (राक्षस) राजकुमारी थीं। वाल्मीकि रामायण के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि रावण का असुर बनना कोई संयोग नहीं, बल्कि एक गहरी महत्वाकांक्षा और उसके संस्कारों का परिणाम था। इसके साथ ही, उसकी धन-संपदा का प्रतीक 'स्वर्ण लंका' की कहानी भी उसके अपने ही भाई कुबेर से जुड़ी है।

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    ब्राह्मण कुल का होकर भी 'असुर राज' क्यों?

    वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड के अनुसार, ऋषि विश्रवा की संतान होने के नाते रावण को वेदों, शास्त्रों और संगीत का अपार ज्ञान विरासत में मिला था। वह एक उच्च कोटि का ब्राह्मण था। लेकिन, उसकी माता कैकसी ने उसे असुरों के गौरव को वापस पाने और देवताओं को पराजित करने के उद्देश्य से पाला था। रावण ने अपनी माता के संस्कारों और असुरों के स्वभाव (अहंकार और शक्ति प्रदर्शन) को अपनाया। अपनी कठिन तपस्या से ब्रह्मा जी से वरदान पाकर उसने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया और असुरों का नेतृत्व संभाल लिया, जिसके कारण उसे असुर राज कहा गया।

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    (Image Source: AI-Generated)

    कैसे मिली सोने की लंका?

    पद्म पुराण के अनुसार सोने की लंका के पीछे की कहानी रावण के सौतेले भाई कुबेर से जुड़ी है। लंका का निर्माण मूल रूप से भगवान विश्वकर्मा ने भगवान शिव और माता पार्वती के लिए किया था। पौराणिक कथा के अनुसार, शिवजी ने गृह-प्रवेश की पूजा के लिए महर्षि विश्रवा (रावण के पिता) को बुलाया। दान स्वरूप शिवजी ने वह सोने की नगरी विश्रवा को ही दे दी।

    कुबेर का शासन

    विश्रवा से यह नगरी उनके ज्येष्ठ पुत्र कुबेर को मिली, जो देवताओं के कोषाध्यक्ष थे। कुबेर ने लंबे समय तक लंका पर राज किया। जब रावण अपनी शक्तियों के चरम पर था, तो उसने अपनी माता और नाना (सुमाली) के उकसावे पर कुबेर पर आक्रमण कर दिया। रावण ने कुबेर को युद्ध में हराकर लंका से निर्वासित कर दिया और बलपूर्वक सोने की लंका पर कब्जा कर लिया। साथ ही, उसने कुबेर का दिव्य वाहन 'पुष्पक विमान' भी छीन लिया।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।