Rishi Panchami 2025 Vrat Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरी है ऋषि पंचमी की पूजा, जरूर करें पाठ
ऋषि पंचमी का व्रत सप्तऋषियों की पूजा के लिए समर्पित है। यह मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। महिलाएं इस व्रत को करने से मासिक धर्म के दौरान लगने वाले दोष से मुक्ति पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ (Rishi Panchami 2025 vrat katha) जरूर करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 28 अगस्त को है, जिसका मुहूर्त सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 39 मिनट तक है। मान्यता है कि इस दिन पर गंगा स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और सप्तऋषियों का आशीर्वाद मिलता है। व्रत कथा के बिना यह व्रत अधूरा है। ऐसे में चलिए जानते हैं ऋषि पंचमी की व्रत कथा।
ऋषि पंचमी की कथा (Rishi Panchami 2025 vrat katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगरी में एक किसान और उसकी पत्नी रहा करते थे। एक बार किसान की पत्नी रजस्वला हो गई, लेकिन यह जानने के बाद भी वह अपने कामों में लगी रही। जिस कारण उसे दोष लग गया। इस दौरान उसका पति भी उसके संपर्क में आ गया, जिससे उसे भी यह दोष लग गया।ऋतु-दोष के कारण पत्नी को अगले जन्म में कुतिया का जन्म मिला वहीं पति को बैल के रूप में जन्म मिला।
पुत्र को बचाने के लिए किया ये काम
ऋतु-दोष के अलावा इन दोनों का कोई और दोष नहीं था, इसलिए इन्हें पूर्व जन्म की सारी बातें याद रहीं। जानवर के रूप में दोनों पति-पत्नी अपने पुत्र सुचित्र के यहां रहने लगे। एक दिन पुत्र के यहां ब्राह्मण पधारे, तो सुचित्र की पत्नी ने उनेक लिए भोजन पकाया। जब वह बाहर गई तो इतने में वहां एक सांप आया और उसने भोजन में अपना विष छोड़ दिया। यह सब कुतिया ने देख लिया और अपने पुत्र व बहू को ब्रह्म हत्या से बचाने के लिए उसने अपना मुख भोजन में डाल दिया।
बहू को आया गुस्सा
उसकी यह हरकत देखकर, बहू को बहुत गुस्सा आया और उसने मारकर उसे घर से बाहर कर दिया। जब रात के समय वह यह सारी बात बैल अर्थात अपने पति को बता रही थी, तो उसके पुत्र ने भी सारी बात सुन ली। तब उसने अपने माता-पिता को इस दोष से मुक्त करने के लिए एक ऋषि इसका उपाय पूछा।
ऋषि ने बताया यह उपाय
ऋषि ने सुचित्र को बताया कि अपने माता-पिता को इस दोष से मुक्त करने के लिए उसे और उसकी पत्नी को ऋषि पंचमी का व्रत करना चाहिए। ऋषि के कहे अनुसार ही पुत्र ने ऋषि पंचमी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप दोनों को पशु योनि से छुटकारा मिल गया।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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