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    Sarva Pitru Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर ग्रहण का साया, क्या कर सकते हैं तुलसी की पूजा?

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 10:56 AM (IST)

    इस बार सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2025) 21 सितंबर को मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान आदि करने से उन्हें तृप्ति मिलती है। इस तिथि पर उन मृतक परिजनों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो या फिर जिनकी मृत्यु तिथि हमें पता न हो।

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    surya grahan and Sarva Pitru Amavasya 2025

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जल्द ही पितृ पक्ष का समापन होने जा रहा है। पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) लगने जा रहा है। हालांकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। सर्वपितृ अमावस्या वह तिथि है, जब पितृ अपने पितृलोक को वापस लौट जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि क्या सर्वपितृ अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा की जा सकती है।

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    तुलसी पूजा करना सही या गलत?

    सर्वपितृ अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण का साया भी रहने वाला है। ऐसे में इस दिन पर तुलसी पूजा करना शुभ नहीं माना गया। इसके साथ ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी को स्पर्श करना चाहिए।

    ऐसा करने से आपको जीवन में नकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। वहीं अगर आप इन नियमों का ध्यान रखने हुए तुलसी से जुड़े ये काम करते हैं, तो इससे आपको अच्छे परिणाम भी मिल सकते हैं।

    कर सकते हैं ये काम

    अगर आपको धन से संबंधिक समस्याएं बनी हुई है, तो इसके लिए आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन ये उपाय कर सकते हैं। इसके लिए एक पीले रंग का धागा या फिर लाल कलावा लेकर उसमें 108 गांठ लगाएं। इसके बाद इस धागे को तुलसी के गमले में बांध दें।

    इसके साथ ही आप सर्वपितृ अमावस्या की शाम को तुलसी के पास एक घी का दीपक जलाकर 7 बार परिक्रमा भी कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति होती है।

    (Picture Credit: Freepik)

    तुलसी माता के मंत्र -

    सर्वपितृ अमावस्या के दिन आपको तुलसी चालीसा के पाठ व तुलसी माता के मंत्रों का जप करने से लाभ मिल सकता है। इससे साधक को मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद मिलता है।

    1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    2. तुलसी गायत्री मंत्र -

    ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    3. तुलसी स्तुति मंत्र -

    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

    4. तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।