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    Sawan 2025: सावन महीने में पूरी होती है मनचाहे वर की मुराद, फिर क्यों नहीं होते इस दौरान विवाह

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 04:35 PM (IST)

    इस साल सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हुई थी जो 9 अगस्त तक चलने वाला है। इस माह में शिव जी की आराधना करने से वह प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही इस माह से ही सोहल सोमवार व्रत की भी शुरुआत होती है।

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    Sawan 2025 क्या है सावन में विवाह न होने का कारण

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन की पूरी अवधि भगवान शंकर की आराधना के लिए समर्पित मानी गई है। विशेषकर सावन सोमवार का दिन। कई लोग सावन सोमवार का व्रत करते हैं, खासकर कुवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहे व योग्य वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। लेकिन सावन के माह में विवाह नहीं किए जाते। क्या आप इसका कारण जानते हैं।

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    क्यों नहीं होता विवाह

    सावन चातुर्मास में आता है और इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास जिसमें आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन माह आता है। इस अवधि में भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में होते हैं।

    ऐसे में यदि इस अवधि में शादी-विवाह जैसे कार्य किए जाएं, तो उसमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता। यही कारण है कि चातुर्मास में आने वाले सावन के महीने में भी शादी व अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    कब से कब तक है चातुर्मास

    आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है, जो कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवउठनी एकादशी तक चलता है। ऐसे में इस साल चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से हो चुकी है, जो 1 नवंबर तक चलेगा।

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    सावन में क्या करना चाहिए

    सावन के महीने में शिव जी की कृपा के लिए सावन सोमवार का व्रत जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही आप सावन सोमवार पर या फिर रोजाना भगवान शिव के मंत्रों का जप भी कर सकते हैं। सावन में रोजाना घर पर ही या फिर मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके साथ ही आपको सावन में रोजाना शिव चालीसा का पाठ से भी लाभ देखने को मिल सकता है। 

    करें इन मंत्रों का जप

    1. शिव जी का मूल मंत्र -

    ॐ नमः शिवाय॥

    2. महामृत्युंजय मंत्र -

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. रूद्र मंत्र -

    ॐ नमो भगवते रूद्राय।

    4. रूद्र गायत्री मंत्र -

    ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।