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    Pradosh Vrat 2025: किस दिन मनाया जाएगा भाद्रपद महीने का अंतिम प्रदोष व्रत? यहां जानें महत्व और मुहूर्त

    पुराणों में वर्णित है कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

    By Pravin Kumar Edited By: Pravin Kumar Updated: Fri, 22 Aug 2025 04:00 PM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भाद्रपद का महीना बेहद खास होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी, राधा अष्टमी, परिवर्तिनी एकादशी समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। वहीं, शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। भौम प्रदोष व्रत करने से कर्ज की समस्या दूर होती है। वहीं, बुध प्रदोष व्रत करने से मनचाही मुराद पूरी होती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, भाद्रपद माह के अंतिम प्रदोष व्रत की डेट और मुहूर्त जानते हैं-

    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 05 सितंबर को भारतीय समयानुसार सुबह 04 बजकर 08 मिनट पर भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 05 सितंबर को देर रात 03 बजकर 12 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पूजा का शुभ समय शाम 06 बजकर 38 मिनट से लेकर 08 बजकर 55 मिनट तक है।

    शुक्र प्रदोष व्रत (Shukra Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)

    प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा। शुक्र प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। शुक्र के मजबूत होने से जातक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

    शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर दुर्लभ शोभन योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी निर्माण होगा। इसके अलावा, शुक्र प्रदोष व्रत पर शिववास योग का भी योग है। इस दिन देवों के देव महादेव नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 01 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट पर
    • चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 16 मिनट तक
    • चंद्रास्त- सुबह 04 बजकर 15 मिनट तक
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 16 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 38 मिनट से 07 बजकर 01 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।