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    Singh Sankranti 2025: सूर्य देव की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, करियर में मिलेगी बंपर सफलता

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 08:00 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो सिंह संक्रांति (Singh Sankranti 2025 Date) के दिन कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में सूर्य देव की पूजा और साधना करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। साथ ही सभी प्रकार के बिगड़े काम बन जाएंगे। संक्रांति तिथि पर काले तिल का दान करना शुभ माना जाता है।

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    Singh Sankranti 2025: सिंह संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 17 अगस्त को सिंह संक्रांति है। रविवार का दिन आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर सूर्य देव कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे। 

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    सिंह संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान करने से साधक पर सूर्य देव की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से करियर या कारोबार में मंगल ही मंगल होता है। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी सूर्य देव की कृपा पाना चाहते हैं, तो सिंह संक्रांति के दिन भक्ति भाव से भगवान भास्कर की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

    सूर्य मंत्र

    1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    2. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    3. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    4. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

    5. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

    सूर्याष्टकम

    आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

    दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

    सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

    श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

    प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

    एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

    महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

    सूर्य कवच

    श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

    शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।

    देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

    ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।

    शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

    नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।

    ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

    जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।

    सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

    दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।

    सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

    सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

    सूर्य देव की आरती

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    रजनीपति मदहारी, शतदल जीवनदाता।

    षटपद मन मुदकारी, हे दिनमणि दाता॥

    जग के हे रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    नभमंडल के वासी, ज्योति प्रकाशक देवा।

    निज जन हित सुखरासी, तेरी हम सबें सेवा॥

    करते हैं रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

    कनक बदन मन मोहित, रुचिर प्रभा प्यारी।

    निज मंडल से मंडित, अजर अमर छविधारी॥

    हे सुरवर रविदेव, जय जय जय रविदेव।

    जय जय जय रविदेव, जय जय जय रविदेव॥

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    यह भी पढ़ें: अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।