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    Singh Sankranti 2025: सिंह संक्रांति पर इस विधि से करें पूजा, जानिए महत्व, भोग, मंत्र और पूजा मुहूर्त

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 08:59 AM (IST)

    सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में गोचर संक्रांति कहलाता है। सूर्य जब कर्क से सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तो सिंह संक्रांति (Singh Sankranti 2025) होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सुख-शांति आती है। इस बार सिंह संक्रांति आज यानी 17 अगस्त को मनाई जा रही है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी महत्व है।

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    Singh Sankranti 2025: सिंह संक्रांति पर करें ये काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सूर्य का गोचर जब एक राशि से दूसरी राशि में होता है, तो उस दिन को संक्रांति कहते हैं। सूर्य जब कर्क राशि से निकलकर अपनी ही राशि यानी सिंह में प्रवेश करते हैं, तो उसे सिंह संक्रांति कहा जाता है। यह दिन ज्योतिषीय और धार्मिक दोनों दृष्टियों से बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में तेज, आत्मविश्वास और आरोग्य का संचार होता है।

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    इस साल यह पर्व (Singh Sankranti 2025) 17 अगस्त यानी आज के दिन मनाया जा रहा है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

    सिंह संक्रांति शुभ मुहूर्त (Singh Sankranti 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। वहीं, अमृत काल 18 अगस्त को रात 12 बजकर 16 मिनट से 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा सहित कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।

    • पुण्य काल - 17 अगस्त 2025, सुबह 05:51 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
    • महापुण्य काल - 17 अगस्त 2025, सुबह 05:51 बजे से सुबह 08:00 बजे तक।

    सिंह संक्रांति का महत्व (Singh Sankranti 2025 Significance)

    सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है, जब सूर्य अपनी ही राशि सिंह में प्रवेश करते हैं, तो उनकी ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है। इस दिन की गई पूजा से साधक मान-सम्मान और कारोबार में सफलता मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

    पूजा विधि, भोग और मंत्र (Singh Sankranti 2025 Puja Rituals)

    • सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
    • अगर न हो पाए तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाएं।
    • स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • अर्घ्य के बाद सूर्य देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
    • उन्हें लाल वस्त्र, रोली और गुड़ का भोग लगाएं।
    • 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
    • इस दिन सूर्य देव को गुड़ और गेहूं से बनी खीर या कोई मीठी चीज का भोग लगाना शुभ होता है।
    • पूजा के बाद गुड़, गेहूं, लाल वस्त्र और तांबे के बर्तन का दान करें।
    • इस दिन गाय को गुड़ और रोटी खिलाना भी शुभ माना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।