Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pinddaan Rules: ऐसे करें अपने पूर्वजों का पिंडदान, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Sun, 29 Dec 2024 03:46 PM (IST)

    30 दिसंबर को साल की अंतिम सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। यह दिन पितरों को समर्पित है। कहते हैं कि इस तिथि (Somvati Amavasya 2024 Date) पर पितरों का पिंडदान करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही कुंडली से पितृ दोष समाप्त होता है। हालांकि उसके कुछ नियम हैं तो चलिए पिंडदान कैसे करना चाहिए यहां पर जानते हैं।

    Hero Image
    Pinddaan Rules: पिंडदान करने का सही नियम क्या है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन बहुत ही अहम माना गया है। यह तिथि पूर्वजों से जुड़े पूजा- अनुष्ठान के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है। इस बार यह सोमवार को पड़ रही है, जिस वजह से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। साल 2024 की आखिरी सोमवती अमावस्या 30 दिसंबर, 2024 को पड़ रही है। वहीं, पौष माह में पड़ने के कारण इसे पौष अमावस्या (Paush Amavasya 2024) के नाम से भी जाना जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है, तो आइए यहां जानते हैं कि पितरों का पिंडदान कैसे करना चाहिए।

    पिंडदान नियम (Somvati Amavasya Pinddaan Niyam)

    • सबसे पहले सुबह उठकर गंगा स्नान करें।
    • पिंडदान हमेशा सूर्योदय के समय ही करना अच्छा माना जाता है।
    • एक पवित्र जगह पर अपने पूर्वज की तस्वीर रखें, जिनका पिंडदान करना हो।
    • फिर गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ आदि से पिंड बनाएं।
    • इसके बाद उसे अपने पितरों को चढ़ाएं।
    • उस पिंड को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।
    • पिंडदान के समय पितरों का ध्यान और उनके मंत्रों का जाप करें।
    • इसके साथ ही ब्राह्मणों के नाम से कुछ दान अवश्य करें।
    • ध्यान रहे पिंडदान हमेशा किसी जानकार पुरोहित के उपस्थिति में ही करना चाहिए।

    पितृ पूजा मंत्र (Somvati Amavasya Puja Mantra)

    • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
    • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।

    सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, सोमवती अमावस्या की समाप्ति 31 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है। इसलिए पंचांग को देखते हुए 30 दिसंबर को ही (Somvati Amavasya 2024) सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

    यह भी पढ़ें: Somvati Amavasya 2024: साल की अंतिम अमावस्या पर जरूर करें ये 4 काम, खुल जाएगी बंद किस्मत

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।