Varaha Jayanti 2025: वराह जयंती को खास बनाने के लिए करें ये आरती, शुत्रओं से होगी रक्षा
वराह जयंती (Varaha Jayanti 2025) भगवान विष्णु के वराह अवतार के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान वराह की पूजा और आरती करने से भक्तों के शत्रु नष्ट होते हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। इस साल यह पर्व 25 अगस्त 2025 यानी आज मनाया जा रहा है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वराह जयंती का पावन पर्व हर साल भक्त पूर्ण भक्ति मनाते हैं। यह पर्व भगवान विष्णु के तीसरे अवतार वराह देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। इस साल यह आज यानी 25 अगस्त, 2025 को मनाया जाएगा। भगवान वराह ने पृथ्वी को हिरण्याक्ष नामक राक्षस से बचाने के लिए ये अवतार लिया था।
कहा जाता है कि इस दिन (Varaha Jayanti 2025) उनकी पूजा-पाठ और विशेष रूप से उनकी आरती करने से भक्तों के सभी शत्रु नष्ट होते हैं और जीवन में आने वाली हर बाधा दूर होती है, तो आइए वराह जयंती पर भगवान वराह की आरती करते हैं, जो इस प्रकार है -
॥भगवान विष्णु की आरती॥ (Lord Vishnu Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
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