Vinayak Chaturthi 2025: मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी को प्रसन्न
मार्गशीर्ष माह में आने वाली विनायक चतुर्थी को कृच्छ्र चतुर्थी (krichra chaturthi 2025) कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन गणेश जी के निमित व्रत करने से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता व सिद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप इस दिन पर किस तरह गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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विनायक चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की कृपा प्राप्त। (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन पर व्रत और गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार मार्गशीर्ष माह की विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2025) का व्रत 24 नवंबर को किया जाएगा। ऐसे में आप इस दिन पर कुछ विशेष कार्यों से गणेश जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
अर्पित करें ये चीजें
विनायक चतुर्थी की पूजा में भगवान गणेश को मोदक के साथ-साथ आप केले, मौसमी फल, बेसन के लड्डू, खीर और मीठा पूरन पोली आदि का भी भोग लगा सकते हैं। इससे गणेश जी प्रसन्न होकर साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
इसके साथ ही आप गणेश जी को दूर्वा, सिंदूर, लाल फूल (विशेषकर कमल), जनेऊ, सुपारी आदि भी अर्पित कर सकते हैं। इससे श्रीगणेशजी प्रसन्न होकर साधक व उसके परिवार को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

दूर्वा अर्पित करने की विधि
भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा अर्पित करना बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसे में विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान गणेश जी को 21 दूर्वा जरूर चढ़ाएं। इसके लिए सबसे पहले 21 दूर्वा लेकर उन्हें साफ पानी से धो लें और इन्हें बांध दें। गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते हुए 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि' मंत्र का जप करते रहें। ऐसा करने से विघ्नहर्ता प्रसन्न होते हैं और आपेक जीवन के सभी विघ्न दूर करते हैं।

गणेश जी के मंत्र
विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी के मंत्रों का जप करना भी उनकी कृपा प्राप्ति के एक उत्तम उपाय है। ऐसे में आप पूजा के दौरान इन मंत्रों का जप कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. 'श्री गणेशाय नम:'
2. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
3. "ऊं गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा"
4. गणेश गायत्री मंत्र - ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
5. गणेश बीज मंत्र - "ऊ गं गणपतये नमः"
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