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    Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा आज, इस आरती से सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 09:09 AM (IST)

    विश्वकर्मा पूजा पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाई जाती है। भगवान विश्वकर्मा को सृजन और वास्तुकला का देवता माना गया है। इस दिन भक्त अपने-अपने क्षेत्र में प्रगति और समृद्धि के लिए विश्वकर्मा जी की आराधना करते हैं और उनका आशीर्वाद मांगते हैं तो चलिए यहां विश्वकर्मा पूजा (When Is Vishwakarma Puja 2024) की सही तिथि के बारे में जानते हैं।

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    Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा पर करें ये आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म का विश्वकर्मा पूजा एक विशेष पर्व है। इसे विश्वकर्मा जयंती व विश्वकर्म दिवस के नाम से भी जाना जाता है, जो ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा के लिए समर्पित है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग अपने वाहन, मशीन, औजार, कलपुर्जे, दुकान आदि की पूजा करते हैं। इसके साथ ही विश्वकर्मा जी की विधिपूर्वक पूजा कर उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। वहीं, विश्वकर्मा पूजा आज यानी 17 सितंबर को मनाई जा रही है।

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    ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसे में उनकी श्रद्धा के साथ पूजा कर आरती (vishwakarma Aarti) से पूजा समाप्त करें, जो इस प्रकार है।

    विश्वकर्मा पूजा तिथि और समय ? (Kab hai Vishwakarma Puja 2024?)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल विश्वकर्मा पूजा के लिए जरूरी कन्या संक्रांति 16 सितंबर को है। इस दिन सूर्य देव शाम को 07 बजकर 53 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। परिवर्तन के समय को ही कन्या संक्रांति कहा जाता है। हिंदू धर्म में उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर यानी मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।

    ।।विश्वकर्मा जी की आरती।।

    ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

    सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…

    आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।

    जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…

    ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।

    ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…

    रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

    संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…

    जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।

    सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…

    एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

    त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…

    ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

    मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…

    'श्री विश्वकर्मा जी' की आरती, जो कोई नर गावे।

    कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।